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समवायाङ्ग
सूत्र ॥
चो अंग
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मूलार्थ:-- पांच संवत्सरना एक युगने विषे बासठ पूर्णिमाओ अने बासठ अमावास्याओ कहेली छे (१) । वासुपूज्य अरिहंतने बासठ गण अने बासठ गणधरो हता ( २ ) । शुक्लपक्षमां चंद्र दिवसे दिवसे ( हंमेशां ) बासठ बासठ भाग छे, अने तेटलोज भाग कृष्णपक्षमां दिवसे दिवसे हानि पामे छे ( ३ ) । सौधर्म अने ईशान कल्पने विषे पहेला पाथडामा पहेली आवलिकामां ( पूर्वादिक) एक एक दिशामां बासठ बासठ विमानो कहा छे ( ४ ) | सर्वे विमानना मळीने बासठ पाथडा कह्या छे ( ५ ) ॥
टीकार्य :- हवे बासठ स्थान कहे छे-' पंचेत्यादि - तेमां एक युगमां त्रण चंद्रसंवत्सर होय छे, तेमनी कुल छत्रीश पूर्णिमाओ होय छे. तथा वे अभिवर्धित संवत्सर होय छे, तेमां दरेक अभिवर्धित संवत्सर तेर मासनो होय छे, ते बन्नेनी मळीने छवी पूर्णिमाओ थाय छे, ए प्रमाणे कुल बासठ पूर्णिमाओ थाय छे, ए ज प्रमाणे अमावास्या पण बासठ होय
(१) । अहीं वासुपूज्य स्वामीना बासठ गण अने गणधरो कला छे, अने आवश्यकमां तो छासठ कला छे, ते पण मतांतर जाणवुं ( २ ) । 'सुपक्वस्सेत्यादि ' - शुक्लपक्ष संबंधी चंद्र हमेशां वासठ ( ) भाग वधे छे. ए ज • प्रमाणे कृष्णपक्षमां चंद्र हानि पामे छे. आ अर्थ सूर्यप्रज्ञप्तिमां कहेलो छे. ते आ प्रमाणे - " नित्य हुनुं काळं विमान हमेशा चंद्रनी साथै ज होय छे. ते विमान चंद्रनी नीचे तेने नहीं प्राप्त थयेलं ( तेनो स्पर्श कर्या विना ) चार आंगळ दूर रहीने चाले छे १, तेथी शुक्लपक्षमां चंद्र हंमेशां बासठ बासठ () भाग वृद्धि पामे छे अने कृष्णपक्षमां तेटलो ज हानि पामे छे २, ते राहुनुं विमान पंदरमा भागे चंद्रने छोडीने पंदर दिवस सुधी चाले छे, अने पंदरमा भागे तेटला ज दिवस चंद्रने
समवाय ६२ ॥
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