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प्रो० परसुराम कृष्ण गोडे। यूं तो दिवाली के त्यौहारकी उत्पत्तिके विषयमे अनेक जनश्रुतियां मिलती है, परंतु उनकी पुष्टि किसी लिखित अथवा उत्कीर्ण साक्षीसे होना आवश्यक है। श्री, बी. ए. गुसेने दिवाली विषयक लगभग आधीदर्जन जनश्रुतियोंका उल्लेख एक लेखमें किया है। उसका निष्कर्ष दिवालीकी उत्पति निम्नलिखित छै रूपमें व्यक्त करता है:
(1) ऋतुपरिवर्तन के उपलक्षमें यह त्यौहार चला। (२) शालि-धान्यकी फसलका अन्त होता इस कारण मनाया गया। (३) दूसरी फसलके लिये खाद डालकर खेत तैयार करने का समय-प्रतीक । (४) सूर्यके तुला राशि युक्त होने के उपलक्षमें । (५) रामचन्द्रजीके राज्याभिषेकको स्मृतिमें। (६) विक्रमादित्यके सवत्-प्रवर्तनका दिवस होने रूपमें।
इन जनश्रुतियोंमें अन्तिम दोका ऐतिहासिक महत्व है। शेष जनश्रुतिया ऋतुपरिवर्तन जनित कृषिसम्बन्धी महत्वको प्रगट करती हैं। (किन्तु उस अवसर पर दीपोत्सवका कारण अस्पष्ट है। होलीभी ऋतुसम्बन्धी त्यौहार है, परतु उस पर अथवा ऐसे अन्य त्यौहारों पर दीपमालिका नहीं होती। -१०) इन जनवतियोंको पुष्टि ऐतिहासिक आधारसे किये जानेकी आवश्यकता है। राम चन्द्रजीके राज्याभिषेक अथवा विक्रम संवत-प्रवर्तनके उपलक्ष दिवालीकी मान्यता कबसे हुई, यह पता लगाना शेष है। हॉकिन्स सा० ( Hopkins) ने आधुनिक हिन्दू त्यौहारोंमें दिवाली, होली, मकरसक्रान्ति आदिको गिना है; परन्तु इनका उद्गम कब और कैसे हुआ, इस पर वह चुप है। किन्तु वह दिवाली' को आधुनिक (नवीन), त्यौहार बताते है। .
श्री० मॉगरेट स्टीवेन्सनने जैन दिवालीका परिचय निम्न प्रकार 'इन्साइक्लोपीडिया औव रिलीजन ऐंड ईथिक्स' (मा.-५ पृ० ८७५-८७९) में लिखा है :- । ।
__ "पर्दूषणके उपरान्त जैनोका दूसरा पवित्र त्यौहार दिवाली है। पयूषण जैनोंकी अहिंसा भावनाका प्रतीक है और दिवाली जैर्नीकी वणिकवृत्तिमै धनके महत्वको लिये हुये है। जैनी दिवाली को मनानेके लिये एक विशेष कारण उपस्थित करते हैं, जो प्रायः लक्ष्मीपूजाका हिन्दू त्यौहार प्रवीत होता है । जैनी कहते हैं कि जब भ० महावीरका निर्वाण हुआ तो उनका निर्वाणोत्सव अठारह लिच्छवि-मालकि एष अन्य राजाओंने यह कहते हुये मनाया कि 'ज्ञानप्रकाश लुप्त हो गया है। अतः आओ मौतिक (दीपों) का प्रकाश फैलायें।' (कल्पसूत्र, SBE., मा० २९ पृ० २६६) जैनी दिवाली चार दिनातक मनाते हैं, जो प्रायः अक्तूबर या नवम्बरमै पड़ती है। श्वेताम्बर जैनोंमें पहले धनतेरसके दिन लक्ष्मी देवीके सम्मानमें रत्नाभूषणोंको सुसज्जित किया जाता है। दूसरा दिन
" इंडियन ऐन्टीकरी, मा० १,११५.११९ (मई १९०१)। १. इन्धाक्लोपेडिया गॉव रिलीजन ऐट ईथिक्स, (१९१९) मा ५४०८६७८७१ ।