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________________ २०६ म. महावीर स्मृति-ग्रंथ। प्रातके अनेक अन्योंका सपादन तथा अनुवाद पाचात्य विद्वानों द्वारा हुआ है, जो बहुधा इग्लैंड, जर्मनी, फ्रास, इटली और अमरीकासे प्रकाशित हुए। इन विद्वानों से बेरर, न्यूलर, याकोबी, हर्नले, बार्नेट, ल्यूमन, शूप्रिंग, इजर्टन, नार्मन नाउनके नाम प्रसिद्ध हैं। प्राकृतसे सवध रखनेवाला एक और कार्य है, अर्थात् प्राकृतकी प्राचीन प्रतियोंकी सूची। इसका प्रारममा घ्यूलर, वेबर, पिटर्सन आदिके हायोंसे हुआ । ___ अभी सन् १९३७ में लुइप्या-नित्ति दोलची नामक एक इटालियन विदुषीने प्राकृत सबधी दो पुस्तक फ्रेंच भाषामें प्रकाशित किये हैं। इनमेंसे एक तो अजातपूर्व पुरुषोत्तमकृत प्राकृतानुशासन का सपादन है । इस ध्याकरणको ताडपत्रों पर लिखी हुई केवल एकही प्रति उपलब्ध हुई है को नेपाल देशके खाटमंडू भडामें सुरक्षित है। यह मति नेवारी अक्षरोंमें विक्रमकी चौदहवीं शताब्दीकी लिपिकृत है । दूसरे पुस्तकका नाम प्राकृत वैयाकरण “ Les Grammairtens Prakrit" है। इसमें प्राकृतके प्रमुख वैयाकरणोंके समय, उनकी रचनादिके विषयमें चर्चा की गई है। ___उपर्युक्त लेखको पढ कर हम भारतवासियोंको एक ओर तो पाचात्य विद्वानोंका धन्यवाद करना चाहिये और दूसरी ओर उनके द्वारा प्रारम किये गये प्राकृत-अनुशीलनको अन तक पहुचाना चाहिये।
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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