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Date of the Nirvana of Lord Mahavira
BY M. GOVIND PAI
[ श्री. म. गोविन्द पने प्रस्तुत लेखमें भ. महावीरके निर्वाण कालतिथिपर उल्लेखनीय प्रकाश डाला है। बीसों पिटक प्रत्योंके उदेखोंसे उन्होंने सिद्ध किया है कि भ. महावीर म. बुद्धसे आयुमें अधिक थे और म. युद्धके जीवनकालमें भ. महावीरका निर्वाणकल्याणक घटित हुआ था। 'दीघनिकाय ' के प्रासादिक सुतन्तसे यह बात प्रमाणित है । वर्मा बौद्धोंकी गणनानुसार म. युद्धका जन्म ३० मार्च (शुक्रवार) ५८१ ई. पूर्वको, उनका गृहत्याग १८ जून ( सोमवार) ५५३ ई० पूर्वको, उनका बोधिज्ञान ३ अमेल (बुधवार) ५४६ ई. पूर्वको एवं परिनिर्वाण ता. १५ अमेल (मंगलवार) ५०१ ई. पूर्वको हुआ था । बर्मावाले अपनी गणनानुसार बुद्धसंवत्, २७ फरवारी ५४७ ई. पूर्वसे प्रारंभ करते है । अतः म महावीरका निर्वाण भ. बुद्ध के बोधिज्ञान और परिनिर्वाणके मध्यवर्ती काल अर्थात् ५४६ से ५०६ ई. पूर्वके मध्य घटित हुआ था। जैन ग्रंथोंसे स्पष्ट है कि भ. महावीरके निर्वाणसे ४२७ वर्ष पश्चात् विक्रम हुये ये । अत: म. महावीरका निर्वाणकाल ५१७ ई० पूर्व मानना ठीक है । उसकी ठीक तिथि सोमवार ता. १३ सितम्बर ५२७ ई० पूर्व की रात्रि अथवा मंगलवार ता. १४ सितम्बर ५२७ ई.
पूर्व उपाका प्रमाणित होता है । म महावीरके जन्मकी ठीक तिथि फरवरी (सोमवार) ५९८ ६० पूर्व पयमहोदय सिद्ध करते हैं । उनका यह लेख विद्वज्जनोंके लिये विचारणी じ - का. प्र. ]
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In the Pali Buddhistic literature, where the name of Lord Mahāvīra 18 often' met with, he is mentioned as Nigantha Nataputta, 2 mnasmuch he is the 24th Tirthankara of the Jainas, who in those early days of Jainism, were call ed Nirgranthas (Pals Nigantha), and a scion as well of the Jñata or Jñātri (Pali : Nāta ) clan of the Kshatriyas. For instance, in the Sabhiya Sutta of the ||Sutta Nipāta
एक समय भगवा राजगहे विहरति वेळुवने कलन्दकनिवापे । तेन खो पन समयेन समियस्त परिव्यानकस्य पुराणसालोहिताय देवताय पञ्चा उद्दिट्टा होन्ति---यो ते समिय समणो वा ब्राह्मणो वा इमे पहे पुट्टो व्याकरोति, तस्स सन्तिके ब्रह्मचरिय चरेय्यासीति । अथ खो सभियो परिब्वाजको वस्था, देवताय सन्तिके ते पछे उग्गहेत्वा ममण-ब्राह्मणा सचिनो गणिनो गणान्चरिया जाना यसस्सिनो
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1. e. g. Sabhya Sutta, Sūmañiyaphala Sutta, Upāls Sutta, Sāmagāma Suta Mahaparınıbbāna Sutta, Päsädika Suttanta, Samgiti Suttanta ve.
2 Mahavira 18 spoken of as Fñäta putra in several Jaina works as well. It 19 in fact one of his well-known names, e g. Hemacandra's Abhsdhānacintāman: महावीरो वर्धमानो देवाय ज्ञातनन्दनः ॥ ३० ॥
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