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ॐ जय महावीर विमो! शरणात के रक्षक, तारक भव सिन्धो 1 ||१|| पावापुरी है नीर्थवाम प्रसु, जैसलमेर मंडन ! । फेनागा माँचोर नादिया, उपशपुर भूपण ॥४.२॥ च्युति गर्भ हरण जन्म अदीमा, फेल निर्वाणी । पटुकायाणक वीर तुम्हारे, यह बागम वाणी ॥३॥ श्री श्रीमाली, मेघराजजी, महासमुन्द पासी । प्रेरक हैं प्रिय इस औरती के, हे घट-घट बासी! |ॐ४|| आरती जो यह गाउँ भनि जन, पंछित फल पावें। स्वर्ग मोक्ष फल पाकर के वे, धन-धन हो जावें ॥ॐ॥
柴柴