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________________ onloPM POET हिन्दी विजया ग्रन्थमाला। यह अन्थमाला हिन्दी साहित्यमें अपने ढङ्गकी अपूर्व और अद्विय हैयदि आप घर बैठे महात्मा पुरुषोंकी जीवनिएं पढ़ना चाहते हैं। यदि आप तत्त्वका रहस्य लूटना चाहते हैं। यदि आप समाजशास्त्रके सिद्धान्तोंको मनन करना चाहते हैं। यदि आप प्रकति देहन आरोग्यशास्त्र के जानकरी होकर दीर्घजीवी होना चाहते हैं। यदि आप देश देशान्तरोंके उत्थान और पतनका हाल जानना चाहते हैं। यदि आप अमेरिका, इंगलैंड और जर्मनी आदि देशोंके नित्य नये प्रकाशित होनेवाले डाक्टर लुइ कुन्ने आदि प्रसिद्ध प्रकृतिक उपचारोंके ग्रन्थोंका हिन्दी अनुवाद पढ़ना चाहते हैं तो शीघ्र ही "हिन्दी विजय अन्धमालाके ग्राहक हो जाइये।" इसमें कई ग्रन्थ ऐसे प्रकाशित होगे जिसको हिन्दी संसारने आज तक कही नहीं सुना।। नियम-(१) स्थायी ग्राहकोको ग्रन्थमालाकी सर्व पुस्तकें पौनी कीमतमें मिल सकेंगी। प्रत्येक पुस्तक बी० पी० द्वारा भेजी जावेगी। (२) प्रारंभमें केवल आठ आना 'प्रवेश फी' देनेवाले स्थायी ग्राहक समझे जायेंगे। (३) ग्रन्थमालामें साल भरमें कितनी पुस्तके निकलेगी इसका कोई मुख्य नियम नहीं है। ग्राहक लोग जिस पुस्तकको चाहे उसे खरीद सकते हैं।
SR No.010528
Book TitleMahavira Jivan Vistar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi
PublisherHindi Vijay Granthmala Sirohi
Publication Year1918
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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