________________
गौरव प्रदर्शित हो और सन्तान दरसन्तान उत्तम आचरण कर उन उत्तम पुरुषोंका गौरव प्रदर्शन करै और सन्तान उत्तम बने, गौरवशालिनी होवे । इतिहास नाम पुराने वृत्तान्त चरित्रका है जो आगम अनुमान प्रत्यक्षादि प्रमाणों से दिखाया गया हो, शिला-लेख, ताम्रपत्रोंसे साबित हो, वृद्ध पुरुषोंसे जाना गया हो तथा पट्टावलियोंसे और सरकारी गजटियर विज्ञप्तियोंसे और सुतर्कित अनुकूल प्रमाणित किंवदन्तियोंसे भी साबित किया गया हो सुयुक्तियों द्वारा सिद्ध किया गया हो वही इतिहास विद्वानों द्वारा प्रमाणित माना जाता है वही हम श्रीलम्वकंचुक लम्बेच समाजका इतिहास पाठकगणोंके समक्ष रखेंगे। इस पुस्तकमें उसी लम्बकंचुक लँबेच जातिका उदन्त कहेंगे पहिले हमने १६७५ विक्रम सम्बत्में एक संक्षिप्त इतिहास लिखकर परिचय दिया था। यद्यपि वह पुस्तक श्रीमान् सेठ बाबू मुन्नालाल द्वारकादास फार्मके मालिक श्रीमान् सोहनलालजी और श्रीमान् बद्रीदास संघई द्वारा जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्थामें श्रीमान् पं० श्रीलालजी काव्यतीर्थ, पद्मावतीपुरवार द्वारा छपवाई थी। परन्तु