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________________ ४०४ * मी लॅबेचू समाजका इतिहास - mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmorror उसकी नकल श्री श्री जगन्नाथ स्वामी जीके पंड श्रीवैकुण्ठनाथ जी पं० रामचन्द्र जीके बेटे पं० श्रीलोकनाथ पडिआरी जीके बेटे हरीराम ओरफ हरेकृष्ण पडिआरी और घोड़ेकी तस्वीर दी है। ___ठिकाना-कवरा घोड़ेवाले, मुहल्ला हरचण्डीशाह चामुण्डा देवीके पास, पो० पुरी, जि० पुरी। ___ इस जगन्नाथपुरीके मन्दिरके ऊपर अश्लील मूर्तिये किसी ने द्वषसे बनवाई है, ऐसा प्रतीत होता है। ऐसा मालूम होता है कि ये पंडा लोग मन्दिर मर्तियोंकी पूजा करते थे और ये भी क्षत्रियवंश रहा, क्योंकि पडिहारी प्रतिहारका अपभ्रंश प्राकृतमें है । प्रतीहारवंशीय राजकुल है देवाद् दौर्गत्यसौगत्ये कर्मके उदयसे गरीब, अमीर हो जाते हैं । प्रतीहारोंका राज्य रहा है और कमजोर हुए तो द्वारपाली करने लगे। प्रतीहार द्वारपाल कहते हैं तो देखो कोई समयमें सवैतनिक पुजारी थे वे ही पंडा हो गये। तो खण्डगिरी परवार जैनोंका बनवाया जिनमन्दिर है और अति प्राचीन कटकमें जिनमन्दिर है, उस मन्दिरको अर्पण
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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