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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३७१ राज्य नेपालके राजा लोग राणा सीसोदे वंशके हैं, जिनका बृटिश गवर्नमेंट ( अंग्रेज) के समय भी स्वतन्त्र नेपाल रहा । और हमारे अनुमानसे अमेरिका पाताललङ्का होना चाहिये और यूरोप हनुरुद्वीप होना चाहिये । क्योंकि जब रावण और इन्द्रमें युद्ध हुआ, तब पद्म पुराण जैन- पुराण के अनुसार हनुमानके पिता पवनजय रावणकी मददको सेना लेकर गये और मानसरोवर पर डेरा डाले । वहाँ चाँदनी रात्रिमें चकवा चकवीका वियोग देखकर राजा पवनजयको बोध हुआ कि हमको अञ्जना सतीके साथ विवाह हुए २२ वर्ष हो गये। लेकिन हम क्रोधवश उनके पास न गये उनका क्या हाल होगा ? यह बात गुप्त रीति से प्रहस्त मन्त्री मन्त्रकर रातोरात आकाश विमान द्वारा आकर अञ्जनाकं महल में पहुँचे। वहाँ उससे बातचीत तथा विषय सम्बन्ध कर मुद्रिका चिन्हारीकी देकर सवेरे से पहिले सेनामें आ गये, जिनसे हनुमान हुए । इनके मुखक दोनों हनु प्रशस्त थे । 'प्रशस्तौहनू विद्यते यस्य' स हनुमान् कहाये । हनुमानके मामा वनकी गुफामें- जहाँ इनका प्रसव हुआ था पैदा हुए। वहाँ इनके मामाका विमान
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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