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________________ * श्री लॅबेचू समाजका इतिहास - २३ हीरालालके भाई भगवान दास परियाने मरसलगंजमें प्रतिष्ठा हमारे द्वारा कराकर विराजमान की है। फिरोजाबादमें लॅवेचुओंका बनाया हुआ श्रीचन्द्रप्रम स्वामीका मन्दिर है। अब भी उसका प्रबन्ध 'चावी हीरालाल केशरीमल रपरियाके हाथमें रहती है। फिरोजाबाद चँदवारसे उत्तर तरफ है। और इसी इतिहासमें अणुव्ययरयण पदीव एक ग्रन्थका उल्लेख करेंगे उसमें रायवद्दिय नगरी लिखी है। जिन लक्ष्मण कविने वह ग्रन्थ बनाया है वे राय वद्दिय नगरीके थे। जिसके जाननेमें इतिहास लेखक अंदेशोंमें पड़े हैं। वह भी जसवन्त नगरके पास रायनगर ही राय वद्दिय नगरी है जो जमुनासे उत्तर तटके तरफ लिखी है सो उत्तर तरफ है और उसमें अब भी लम्बकञ्चुक समाजके विरद बखाननेवाले कवि राय लोग रहते हैं। और इटावामें भी लँबेच रहते हैं और जशवन्त नगर इटावाके बीचमें करहल नगरी है यह तो लँवेचुओंका केन्द्र है ही इसमें मेरे विवाहके समय ४०० घर थे। अब कहीं दूर दूर देश चले गये कुछ अब भी डेढ सो १५० या १२५ के करीब घर हैं। ४ जिन मन्दिर हैं
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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