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________________ २६६ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * से हमने ये कवित्त गोत्रों के लिये लिखे हैं । ये सब करहल के भाट जो रायनगर में रहते हैं उससे लाये हैं। करहल के भाइयों ने राय भाटों का ब्याह में तीन खूट दिये जाते हैं। वह हक दो-चार वर्षों से जब से एक राय से किसी कारण लड़ाई हुई बन्द कर दिया, वह देना चाहिये । भाटो बिना यह सामग्री कैसे मिलतो विचार करना चाहिये । सोलंकी (बघेला )वंशके राजा कर्ण घेलासे अलाउद्दीन खिलजीसे लड़ाई हुई। खिलजीने गुजरात राज्य छीना, जोधपुर राजपूताना इतिहासमें देखो पेज ५६६ रायसिंह डोडिया अपने २ पुत्रों कालू और धवल सहित मेवाड़ी फौजको रक्षार्थ आ पहुंचा। लाखा की माता द्वारकाकी यात्राको गई थी उसको लाखाके घर तक पहुंचाया धवलको राणाने बुलाकर ५ लाखकी जागीर प्रदान कर अपना उमराव बनाया। धवलके वंशम इस समय सरदार गढ ( लाँवा ) का ठिकाना है यही लमकाञ्चन देशमं है तपासो लमेवू जातिके वंशजोंको पेज ५७५ । देवीसिंह (चोहान) देवा हमीरकी सहायतासे मोनोसे वृंदीका राज्य लिया उधर भास्करमें लिखित (रायभा ) को देखना चाहिये । साम्हरके
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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