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२३४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * को, अष्टम अर्थात् पुष्य नक्षत्र और 'साहिज' साध्य योग में समाप्त हुआ। इस प्रकार यह ईस्वी सन् १२५७ की रचना है।
ग्रंथ का विषय अणुव्रतों अर्थात् गृहस्थ धर्म का वर्णन है जिसका पूर्ण परिचय अगले लेख में कराया जायगा।
ऊपर के समस्त वृत्तान्त के आधारभूत अवतरण अनुवाद-सहित परिशिष्टों है देखिये ।