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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास # १३७ गये हैं पर उस समय इतना परिज्ञान नहीं था कि यह जैन ऋषि का स्थान है । भदावर राजा चोहान उस समय जैन थे ऐसा सूचित होता है जब अपने लोगों के वंश में हैं तब जैन तो होगें ही । राजा भदावर के यहाँ अब भी नौगाये गांव में शिखरचंद संघई खजान्ची चले आये अब एक दो वर्ष से राजा नहीं रहे । तब लड़के के समय नोकरी छोड़ आये । जशवन्त नगर में रहते हैं अब वह भिंडी ऋषि का स्थान ग्वालियर महाराज के हाथ में रहा अब स्वतंत्रता में हैं। पुजारी एक अजैन बाबा बोला जाता है । अत्र मूर्ति उस स्थान में किनकी है ख्याल नहीं । हमलोग तब बिना जाने यह कहते थे कि ये तो मिथ्यात्व पूजते हैं। पर पट्टाबली देखे पता लगता है कि अपना ही स्थान है। संसार में न जाने किस का क्या हो जाता है ত
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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