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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास # चरित्र इधर का ही है । सिलोन में राजा हमीर चोहान की पुत्री से राणा भीम का विवाह था । ऐसा राजपूताना इतिहास में है । जाना था । अब चाहें लमेचुहान शब्द से चोहान शब्द froyer हो और या चाहमान से चोहान निष्पन्न हो, लहान से चोहान भया या चाहमान से चोहान भया । दोनों तरह से सिद्ध है । और भी एक बात है । नामैक देशे नाम ग्रहणं नाम के एक देश से भी नाम का ग्रहण होता है । यह भी संस्कृत व्याकरण तथा प्राकृत से सिद्ध है जैसे असिआडसा से पञ्चपरमेष्ठी लिए जाते हैं देखो प्राकृत में भी लिखा है । अरहंता असरीरा आइरियात उवज्झया मुणिणो । पढ़ मक्खर णिपणो ओंकारों पंच परी || असे अरहंत अशरीर के असे सिद्ध और आचार्य का आलिया उपाध्याय का उ लिया और मुनि शब्द का मकार लिया । प्रथम अक्षर लेकर ओं बना । अकः सवर्णे दीर्घः इस सूत्र से दीर्घ किया आदगुणः इस सूत्र से गुण किया। मकार का अनुस्वार किया। ओं बना तो १३५ MiAani पद्मिनी से हुआ लंका में आना
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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