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________________ WMrvvv १२४ * श्री बेचू समाजका इतिहास'* पुकारते हैं। . उससे भी फर्क होने सके है और गहरवार राजपूत जयचन्द की पुत्री देवकली के पुत्र सेंगर वंश के संस्थापक बतलाये। जयचन्द राठौर थे। गहरवार के नामसे गढ़वाल गाँव है जो कचौरा से राजाकीहाट वहां से शाहपुरा, वहां से उत्तर में गढ़वाल गांव है । इन सब ग्रामों में लँबेचू रहते हैं और वंशावली में राणा केवलसिंह के पुत्र रतनसिंह ( रतनपाल ) इन्होंने ही रपरी वसाई हो । हाहुलीरावने गजरथ निकाला और मन्दिर बनवाया सो यह इटावा में कर्णपुराका जिन मन्दिर होगा। कन्नपुरा के पास ही विद्यापीठ है और वहां से चलकर पास ही में किला सुमेर सिंह का बनाया तथा त्रिकुटी ( टेक्सी का) मंदिर है और १३०७ की साल में सूर्यसिंह राजा भये । इन सूर्यसिंह का किला सूरीपुर में (बटेश्वर ) में है। इन्हीं या कृष्णजी के समय के सूर्यसेन का किला हो । बहुत कर उन्हीं सूर्यसेन का किला है। जिनके कर्ण पले पर कहने का मतलब यह है कि जब दशलक्षण पर्व के बाद कुआर बदी १ को धारा देते हैं। तब करहल आदि प्रदेशों में संकल्प में आर्यावर्ते सूर्यसेन प्रदेशे ऐसा कहते
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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