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________________ *मी लंबेचू समाजका इतिहास रहा। इसी प्रकार आज कल की आयुष्य के हिसाब से १०० वर्ष राज्य एक राजा का रहना संभावित कम है तो दो चन्द्रदेव दो चन्द्रपाल हो सकते हैं । रामचन्द्र एक ही होंगे तथा साम्हरी नरेश के पुत्र सारंगदेव अनेकान्त पत्र ३४७ पेज में लिखा है सो साम्हरी नरेश से साम्हर से आये कोई राजा को कह सकते हैं। क्योंकि गुजरात से आकर लंबेचू नागौर और साम्हर में तथा ढूंढार मारवाड़ में तो बसे ही इससे सारंग नरेन्द्र को साम्हरी नरेश के पुत्र लिखे लंबेच वंशावली में सारंग नरेन्द्र नहीं आया है । किन्तु राजपूताने इतिहास में आया है और श्रीमान् पं० परमानन्द शास्त्रीजी ने अनेकान्त पत्र पेज ३४५ में लिखा है कि सारङ्ग नरेन्द्र राजा के मन्त्री वासाधर जायस ( जैसवाल ) वंशी सोमदेव श्रेष्ठी के सात पुत्रों में से प्रथम थे। यह भी बात भूल की है। जैन मित्र गुरुवार वैशाख बदी १ वीर सं० २४५१ के पेज ३३७ में श्रीमान पूँ० ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी ने अप्रगट श्रीवर्द्धमान पुराण संस्कृत श्रीमुनि पद्मनन्दिकृत का विवरण लिखते हुये लिखा है कि यह संवत् १५२२ फागुनवदी ६ का लिखा हुआ ८
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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