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________________ * श्री लॅबेचू समाज का इतिहास * वाली सड़क पर औरैया से ५ मील तथा इटावा से ४४ मील जमुना के किनारे स्थित है। १८७२ में इसकी आबादी २७०५, १६०१ में आबादी घट कर २५६३ हो गई। इसमें ब्राह्मणों की संख्या अधिक है। कुदरकोट, तहसील बिधूना ___ यह एक बड़ा गांव है। उत्तर में २६४६ अक्षांश और ७६२५ अक्षांश पूर्व में स्थित है। इटावा से २५ मील उत्तर पूर्व कन्नौज जाने वाली सड़क पर स्थित है । यह बड़ा ही पुराना स्थान है यहां पान का बाग था। इस मम्बन्ध में एक कहानी कही जाती है कि एक राजा अपनी सेना के साथ इस स्थान से जा रहा था। उसकी गनी के कान का कुण्डल यहीं खो गया। स्थानीय देवी के बल से यह आभूषण शीघ्र ही मिल गया इसलिये राजा ने अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिये वहीं एक किला बनवा दिया और तब उसका नाम कुण्डलकोट पड़ा । बाद में यही कुदरकोट हो गया। कन्नौज साम्राज्य के समय यह प्रसिद्ध स्थान था। १८५७ में पाए ताम्र लेख की लिखावट को देख कर उसे १०, ११ वीं शताब्दी का
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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