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________________ ४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * के लिये फौज की एक टुकड़ी भेजी। राजा साहब ने आत्म समर्पण नहीं किया। वे चंबल नदी को पार कर जंगल में चले गये। अंग्रेजों ने रियासत पर कब्जा कर लिया। बाद में केवल चकर नगर राजा रामबक्श सिंह को दे दिया गया और बाकी जमींदारी पर अंग्रेजोंने कब्जा कर लिया। सहसों को १८०६ तक अंग्रेजों ने अपने अधिकार में नहीं किया। चकर नगर के राजा के वंशज कंबल कुछ गांवों के मालिक रह गये थे। १८५७ के राजक्रांति के अवसर पर उन्होंने अंग्रेजों की जोरदार खिलाफत की इस कारण अंग्रेजोंने उसकी रियासत को जब्त कर लिया। राजा परतापनेर के चाचा जुहार सिंह अंग्रेजों के विशेष कृपा पात्र थे इस कारण चकर नगरकी जमींदारी का अधिकांश भाग उन्हें दिया गया जिस पर उसके वंशज आज तक कायम हैं। भदावर में भदोरिया राजपूतों की तूती बोलती रही है। बड़पुरा के राव हिमंचल सिंह बहादुर की कामेथ से लेकर कन्धेसी (परगना भर्थना) तक रियासत थी। इनकी रियासत आगरे जिले तक फैली हुई थी जिसमें ५६
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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