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लेकर जजूं कर्पूर घृत रत्नादिकी दोपावली । जिनकी प्रभा से हो प्रगट गुणराशि आतमकी भली ॥वसुकर्म०
ॐ ह्रीं भगवते श्री बाहुवलिजिनाय मोहान्धकारविनाशनार दीपं निर्वामीति स्वाहा। सुरदारु अगर कपूर तगर सुगन्ध चंदन से बनी । दशदिशारंजन धूप दविधि अग्र खेऊ पावनी ।।वसुकर्मः।
ॐ ह्रीं भगवते श्री बाहुबलिजिनाय दुष्टाष्टकर्मदहनाय धूप निर्वपामीति स्वाहा। बादाम पिस्ता नारियल अंगूर कदली आम हैं। शिव अमरफल हित चर्चते हम नाथ तव पदधाम हैं।वसुकर्म०।
ॐ ह्रीं भगवते श्रीवाहुवलिजिनाय मोक्षफलप्राप्तये फल निर्वपामीति स्वाहा।
गन्धाम्बु तन्दुल सुमन व्यंजन दीप धूप सुहावनी। फल मधुर मिश्रित अर्घ ले, पूंजूं तुम्हें विभुवन धनी॥वसुकर्म०।
ॐ ह्रीं भगवते श्री बाहुवलिजिनाय अनयंपदप्राप्तये अर्घ निर्व पामीति स्वाहा।
दोहा पोदनपुर में स्वर्ण की, जजू बिब छविधाम । पुष्प वृष्टि सुर जहं करें, केशरकी अविराम ।। ॐ ह्रीं श्रीपोदनपुरस्थबाहुबलिस्वामिप्रतिमाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।
भला विध्यगिरि शिखर है, भले विराजे जेह । चालिस हस्त सुशोभनो, खड्गासन है देह ।। अनुपम छवि जिनराज की, देख लजे शशि सूर्य,