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श्री जवाहर विद्यापीठ, भीनासर, बीकानेर (राजस्थान) स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर माननीय श्री भँवरलालजी कोठारी को समर्पित
समाज-रत्न
सम्मान-पत्र निन्द! दीकानेर की सारस्वत धरती के पुत्र, रवीन्द्र कवीन्द्र के शान्ति निकेतन बौलपुर में शिक्षित, राष्ट्र और धर्म के संस्कार न; शान, गुग और शील की एकता से संपोषित श्री भंवरलालजी कोठारी का जीवन और कर्म अभ्युदय और तोक, मगत : या का अनुपम उदाहरण है। सेवा, नेह, समन्वय और सात्विकता से आपका व्यक्तित्व, व्यक्ति और समाज के लिये बरेग्य हैं। नगी ! आप हिन्दी साहित्य में प्रभाकर, कला व विधि में सातक होने के साथ दर्शन, धर्म, शास्त्र और साहित्य के मर्गइ है। :: बार्डन एवं प्रसार में सतत संलग्न रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं, पुस्तकालयों, छात्रवृत्ति आदि बहुविध अभिक्रमों के सस्थापन,
रअप किशोरावस्था से ही सक्रिय योगदान करते रहे हैं। बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के मंत्री एवं अध्यक्ष के रूप में लोक : मान्वपूर्ण भूमिका रही है। रसायक! समाज के उन्नयन हेतु सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के लिये साहसिक संघर्ष किया। समाजोत्थान की हर प्रकार MAR आपका नेठत्व. मार्गदर्शन और सक्रिय सहयोग सदैव रहा है। हिन्दी प्रचारिणी सभा, महावीर जैन मण्डतबीकानेर विकास परिषद, धार्मिक-सामाजिक सेवा व प्रशिक्षण शिविर आदि आपकी रचनात्मक सोच और क्षमता के प्रतीक है। असल गामाी जैन संघ के मंत्री के रूप में आपकी धर्म साधना की प्रवृत्तियाँ सुज्ञात हैं। या विकासक! आप सफल, सम्मानित व्यवसायी होने के साथ ही बीकानेर में उद्योग और व्यापार के विकास हेतु प्रयासरत है
सरकार और उद्योग मण्डल के आठ वर्ष तक अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण सेवाएँ दी। ऊन के व्यापार और ऊनीद्वादी के " . मन्टन दिया । केन्द्रीय सहकारी बैंक के निदेशक के रूप में सहकारिता को पुष्ट किया। , पाका प्रहरी ! स्वाधीनता के पश्चात हये यदों के समय राष्ट्र के समक्ष उपस्थित कठिन परिस्थितियों में स्वय मनिय सम्याग
माध्यम से भारी मात्रा में अर्थ संकलन करके राष्ट्र प्रहरी का दायित्व निभाया। सदा आपका सहज स्वभाव है। सन १६७९ से १ की अवधि में राजस्थान गो सेवा संघ के महामंत्री व वाय. • गा सम्वर्दन, गो रक्षा एवं कृषि विकास का कार्य अति श्लाघनीय रहा है। राजस्थान में दार-चार पड़े भी 31 नावात्रा में मानव व पशु रक्षा का कार्य आपकी कर्मठता, कार्य कुशलता एवं नेतृत्व क्षमता का प्रभाग रहता।
प्रदश क सार्वजनिक जीवन को समुन्नत करने में सदैव अग्रणी भूमिका रही है। १९६६-६८ में नगर निगम 07709 म नगर परिषद के सदस्य, १६७२ में भारतीय जनसंघ के जिला अध्यक्ष और प्रदेश कोषाध्यक्ष और १८६१
स के अध्यक्ष तथा अनेकानेक जन कल्याण व विकास की गतिविधियों के रूप में जन सेवा के माध्यम बनमा राजनात एवं समाज कार्य के मल्य स्थापित किये हैं। लोक स्वराज्य की स्थापना. सर्वोदय Eि
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! नार व प्रदेश के सार्वजनिक जीवन का समुरा HEE१७-55 में नगर परिषद के सदस्य, १६ inारा के अध्यक्ष तथा अनेकान
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' में सहभागिता रही है। SEPTE! असा, संयम और अनेकान्त का दर्शन
7. एका प्रवत्ता के रूप में प्रतिधित हैं।
अपई सास्त अध्यवसाय की गति, शक्ति' है। सरिता सार्वजनिक जीवन म
", सचम आर अनेकान्त का दर्शन आपके चिन्तन और दर्या में पवन
अगाको
अध्यवसाय की गति, शक्ति और दिशा का स्रोत समत्व का दर्शन और चरित। । सावजानक जीवन में शुद्धता, सौम्यता और प्रियता आपकी समन्य साधना पनि! चारारक विशेषता. उत्कार समाज सेवा और अप्रतिम धर्मभावना अभिनन्दनः . पर नि:यस की साधना की सतत वृद्धि की मंगलकामना के साथ आप मानाज
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दय और निःश्रेयस की साधना का सतत पाम प्रसज्ञता और गारद का अनुभव करते हैं।
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