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अचानक स्वर्गवास हो जाने के कारण वे समारोह में उपरोक्त सम्मान लेने के लिए मौजूद नहीं थे अतः यह सम्मान वाद में प्रदान किया जायेगा।
संस्था द्वारा प्रतिवर्ष स्नातक स्तर कला/विज्ञान/वाणिज्य में बीकानेर जिले के अधिकतम अंक प्राप्तकालकर को प्रदीप कुमार रामपुरिया स्मृति पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। इसके अन्तर्गत गत वर्ष तक ५०१/20 नगदी व प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता था लेकिन इस वर्ष श्रीमान् माणकचन्दजी रामपुरिया ने पुरस्कार की स्थायीं निधि में २०,०००/- की वृद्धि की है अतः इस वर्ष से १००१/- नगदी व प्रशस्ति पत्र देने का निर्णय किया गया था और इसी क्रम में गत वर्ष में बी.कॉम. में अधिकतम अंक प्राप्तकर्ता जैन कॉलेज के श्री मनोज कुमार छाजेड़ाम को, वी.ए. में अधिकतम अंक प्राप्तकर्ता महारानी सुदर्शना कॉलेज की सुश्री नीरा भाटिया को १००१/- नगदी बांधकर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। बी.एस.सी. में अधिकतम अंक प्राप्तकर्ता डूंगर कॉलेज के राजीव व्यास परीक्षा में 5 व्यस्त होने के कारण पुरस्कार लेने उपस्थित नहीं हो सके अतः उनका पुरस्कार उनके घर जाकर प्रदान किया जायेगा निर्णय लिया।
तत्पश्चात दिनांक ३० अप्रेल, १६६४ को आयोजित हुई सेठ श्री चम्पालालजी बांठिया स्मृति व्याख्यानमाला में विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहेछ । विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात् २६ अप्रेल को आयोजित भजन-संध्या में भाग लेने वाली मण्डलियों में क्रमशः श्री वीर मण्डल, श्री जैन मण्डल, श्री कोचर मण्डल, श्री जैन परिषद, श्री विचक्षण महिला मण्डल, श्री वल्लभ महिला मण्डल को स्मृति-चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
संस्था की महिला उद्योग शाला में बेहतर कार्य प्रदर्शन के लिए प्रशिक्षिका श्रीमती सन्तोष आचार्य को प्रशंसा-पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किया गया एवं संस्था के लाइब्रेरियन श्री मानमल सेठिया को भी उनकी प्रशंसनीय सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया गया। इसके पश्चात् गंगाशहर अस्पताल के डाक्टर श्री किशनलालजी जैन को भी तार उनके द्वारा दी गई उल्लेखनीय सेवाओं के लिए अभिनन्दन-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
___ अन्त में कार्यक्रम अध्यक्ष श्री गुमानमलजी चोरड़िया ने समारोह के मुख्य अतिथि श्री देवीसिंहजी भाटी गा एवं विशिष्ट अतिथि डा. रामप्रताप जी को विशेष तौर पर बनवाया गया प्रस्तावित जवाहर द्वार का मॉडल स्मृति-चिह्न के रूप में भेंट किया। कार्यक्रम संचालक एवं स्वर्णजयन्ती स्मारिका के सम्पादक डॉ. किरणचन्दजी नाहटा को भी स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने पिछले १५ दिनों में अथक मेहनत करके स्मारिका न का मैटर तैयार कराके सम्पादन किया और आचार्य श्री जवाहरलालजी की जीवनी को पढ़कर इतने प्रभावित हुए पर कि अपनी सेवाएँ संस्था को निःशुल्क प्रदान की। ... अन्त में कार्यक्रम अध्यक्ष श्री गमानमलजी चोरडिया, विशिष्ट अतिथि डा. रामप्रतापजी व मुख्य आताय नम
श्री देवीसिंहजी भाटी ने अपना उदबोधन दिया। अपने उदबोधन में श्री देवीसिंहजी भाटी ने कहा कि हमार पुषण व महापुरुषों व आचार्यों द्वारा नैतिकता एवं चरित्र के विकास के लिए किये गये प्रयासों को शिक्षा से जा " चाहिए। श्री जवाहराचार्य के प्रति विशेष सम्मान व्यक्त करते हए उन्होंने कहा कि श्रीमद् जवाहराचाय का राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण चरित्र सभी के लिए वन्दनीय है।
डॉ. राम प्रतापजी ने अपने उद्बोधन में शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बिना मनुष्य का विकास नहीं हो सकता। समाज का यह दायित्व है कि वह शिक्षा एवं साक्षरता का
सिधा साक्षरता के कार्यक्रम में अपना पूरा योगदान दे। १७६
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