________________
आचार्यश्री के प्रतिपादित २० सूत्र १. जुआ निषेध
११. मृत्युभोज निषेध २. मांसाहार निषेध
१२. अन्न की रक्षा ३. मद्यपान निषेध
१३. दहेज-निषेध ४. वेश्यागमन निषेध
१४. वैवाहिक उम्र निर्धारण (बालविवाह निषेध) ५. पर-स्त्री-गमन निषेध
१५. नर्तकियों का नाच रंग-निषेध ६. शिकार-त्याग
१६. अष्टमी चतुर्दशी उपवास विधान ७. चोरी का त्याग
१७. अस्पृश्यता उन्मूलन ८. विवाहों में अश्लील नाच-गान निषेध
१८. आलसीपन का त्याग ६. गृत्यु पर दिखावटी रोना-धोना नहीं
१६. संयमित जीवन यापन १०. भय-मुक्ति
२०. चर्वी वाले वस्त्रों के पहिनने का निषेध इन रूढ़ि मुक्ति के वीस सूत्रों के बारे में स्वचिन्तन और मूल्यांकन से परमात्म प्राति की सरल साधना रायी जा सकती है, भारतीय समाज आज भी दुःखी है। निर्धनता, अशिक्षा, अराजकता और अनैतिकता से ग्रामा है। हम सबको हम में से प्रत्येक को अपने राष्ट्र की पाई-पाई वचानी चाहिए। मद्यपान, जुए, ऐच्याशी, हनमोती, आडम्बर, मृत्युभोज, दहेज, विदेशी मोहान्धता, मुकदमेबाजी, फैशन-परस्ती व अन्य वात-अज्ञात सदियों और थाना से बचकर इस गरीव देश की अरवों-खरवों की सम्पत्ति बचानी है । मन, वचन और कर्म से हम सवार ७नक होकर आचार्यश्री जैसे ज्ञानी-पुरखों की वाणी और लेखनी से व्यक्त विचारों और भावनाओं का समार, अपने नित्य प्रति के जीवन आचरण में उतारकर उनके प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करनी चाहिए