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आठवां अध्याय ७६ निर्जरा के स्वरूप निरूपण सू० १
५७१-५७३ ७६ निर्जरा के दो भेदों का कथन सु० २
५७३-५८१ ७७ कर्मक्षयलक्षणा निर्जरा के हेतु कथन मू० ३
५८१-५८४ ७८ तप के दो प्रकारता का कथन सु०४
५८४ ७९ अनशन तप के दो भेदों का कथन सु० ५
५८५-५८७ ८० इत्वरिकतप के अनेकविधत्वका निरूपण सू०६ ५८७-५९१ ८१ अनशन तप के बावस्कथिक के दो प्रकार का कथन सु०७ ५९१-५९५ ८२ पादपोपगमन तप के द्वि प्रकारताका निरूपण सू०८ ५९५-५९८ ८३ भक्तपत्याख्यान के दो प्रकारता का निरूपण स०९ ५९८-६०० ८४ अबमोरिका के स्वरूप निरूपण सु० १०
६००-६०२ ८५ द्रव्यावनोदरिका के दो भेदों का कथन मू० ११ ६०२-६०४ ८६ उपकरण द्रव्यावमोदरिका के विविध
प्रकारखाका निरूपण सू० १२६०४-६०७ '८७ भक्तपान द्रव्याचमोदरिका के अनेक विधताका निरूपण सू०१३ ६०७-६१४ ८८ भावावमोदरिकातपका निरूपण सू० १४
६१४-६१७ ८९ भिक्षाचर्या तप के अनेकविधता का निरूपण मू० १५ ६१७-६३० ९० रसपरित्यागतप का निरूपण मु०१६
६३१-६३६ ९१ कायक्लेशतष के अनेक विधत्वका निरूपण सु० १७ ६३६-६४४ ९२ मतिसंलीनतातप के चातुर्विध्य का निरूपण मू० १८६४४-६४७ ९३ इन्द्रिय प्रतिसंहीनताप के पंचवियत्त का निरूपण सू० १९६४७-६५२ ९४ कपाय पतिसंलीनतातप का निरूपण सु० २०
६५२-६५७ ९५ योगपतिसंलीनतातंप का निरूपण सू० २१
६५७-६६१ ९६ विविक्तशय्यासनता का निरूपण सू० २२
६६२-६६५ ९७ ज्ञानविनयतप का निरूपण सू० २३
६६५-६६८ ९८ दर्शनविनयतप का निरूपण सू० २४
६६८-६७१ ९९ शुश्रूषणाविनयतप का निरूपण शू० २५
६७१-६७६ १०० अनत्याशातना विनयतप के ४५ पैतालीस
भेदों का कथन मू० २६ ६७७-६८२