SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [४०] मुखवत्रिका । एक और उदाहरण लीजिये! चित्रशाला प्रेस पूना से प्रकाशित होनेवाली “सचित्र अक्षर लिपि" नानी पुस्तक में जो यति का चित्र दिया है वह भी प्राचीन श्रादर्श के अनु सार वना है, अर्थात् यति के मुंह पर मुखवस्त्रिका बंधी हुई है देखिए ब्लाक चित्र नम्बर ७ । कहिए पाठक ! क्या अव भी किसी प्रमाण की आवश्य कता है ! हर प्रकार से हम यह सावित कर चुके हैं, कि मुखवस्त्रिका मुंख पर वांधने ही की वस्तु है हाथ में रख ने की नहीं। और साथ ही हम यह भी समझा चुके हैं, कि इसको हाथ में रखने से कोई लाभ नहीं । अव हम आगे मुखवस्त्रिका को मुखपर बांधने में स्वास्थ्य की दृष्टि से क्या २ लाभ है यह बतलायंगें। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभ मुखवास्त्रिका का उद्देश्य प्राणियों की रक्षा का तो है ही परन्तु इससे स्वास्थ्य-दृष्टि से भी बहुत लाभ हैं । अर्थात् इसके मुखपर वंधी रहने से जो मनुष्य सुख के द्वारा भी श्वास लेते हैं वे अनेक भयानक रोगों से वचजाते है जिन के प्रमाणार्थ नीचे कई डाक्टरों की राय उदृत करते है। Doctor James cout Ph.D... F.A.S. writes. ___ " By an effort of the Will in the one direct trou esercised in the private and in public, Keep the mouth shut and breathe through the rose,
SR No.010521
Book TitleSachitra Mukh Vastrika Nirnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarmuni
PublisherShivchand Nemichand Kotecha Shivpuri
Publication Year1931
Total Pages101
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy