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________________ निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां ( ७१६ ] करता हूँ। - प्रोफेसर शम्भुदयाल यज्ञधारी एम० ए० महाराणा कालेज, उदयपुर । निर्ग्रन्थ-प्रवचन पुस्तक की रचना कर जैन साहित्य की वास्तविक सेवा श्रीमान् के० जे० मशरूवाला, अहमदाबाद । . पुस्तक जनता के लिए अति उपयोगी है। (३७) श्रीमान् वावू कामता प्रसादजी जैन एम० आर० एस० 'वीर' सम्पादक अलीगंज, जिला एटा। " यह पुस्तक सार्थक नाम है। श्वेताम्बरीय अंग ग्रन्थों से निग्रन्थ महा प्रभुओं के धार्मिक प्रवचनों का संग्रह इस में किया गया है और वह सब के लिए उपादेय है।" (३८) श्रीमान् धीरजलालजी के० तुखिया, ऑ, अधिष्टाता, श्री जैन गुरुकुल, ब्यावर. जैन धर्म के अभ्यासियों को और विद्यार्थियों के पाठ करने योग्य है । जैन संस्थाओं के पाठयक्रम में भी रखने योग्य है। (३६) श्रीमान् ज्योतिप्रसादजी जैन भू० पू० सम्पादक, जैन प्रदीप' (प्रेमभवन ) देवबन्द (यू० पी०)। मैं इस छोटे से संग्रह-ग्रन्थ को यदि जैन गीता कह दूं तो कुछ अनुचित न होगा। इस से प्राणी मात्र लाभ ले सकते हैं। (४०) श्रीमान् पं० शोभाचन्द्रजी भारिल्ल, न्यायतीर्थ, सम्पादक 'वीर' श्री जैन गुरुकुल, व्यावर । यह संग्रह पाठशालाओं में पढ़ाने योग्य हैं : जैन गुरुकुल में इसे पाठय
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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