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आप के प्रचार में आप के मधुर स्नेहशील, और प्रसन्नतापूर्ण स्वभाव ने भी काफी सहायता पहुंचाई है । आपके चेहरे पर एक प्रकार की ऐसी प्रसन्नता नृत्य करती रहती है कि सामने वाला शीघ्र ही उसके वश हो जाता है । आप की प्रकृति बड़ी ही मिलनसार, सीधी-सादी और आकर्षक हैं ।
वक्तृत्व
वक्तृत्वशैली के आकर्षण ने आप को बहुत ही उच्च पद पर प्रतिष्ठित कर दिया है । आप प्रारंभ से ही-स्वभावसिद्ध वक्ता हैं । व्याख्यान मधुरतामय, सरलतामय, मनोरंजक परन्तु प्रभावशाली होते हैं । जिन्होंने महाराज श्री का एक भी व्याख्यान सुना है वह जानते हैं कि आप के श्रोता किस प्रकार चित्रलिखित-से रह जाते हैं । मुनिश्री का उपदेश सुन कर श्रोता यह समझने लगते हैं कि वे हमारे हृदय के रहस्यों को जानते हैं, वे हमारे दुःखों के निवारक और पापों से नाता है । आप ने बालविवाह, वृद्ध विवाह कन्या विक्रय, अहिंसा, धर्म, मांसाहार, मदिरापान, कुशीलसेवन, संगति, एकता, संग. ठन, क्षमा, दया, सत्य, क्रोध, मोक्षमार्ग, मनुष्यकर्त्तव्य, लोक सेवा, भक्ति, वैराग्य, अध्यात्म, प्रेम, ज्ञान, आत्मज्ञान, दृढ़ता, इच्छा शक्ति, कर्त्तव्यपालन, संसार की असारता, सामाजिक जीवन, दुराग्रह त्याग, सदाचार, विद्या, तपस्या का आदर्श, जीवन संग्राम में विजय, अतीत स्मृति, धार्मिक पतन, ब्रह्मचर्य, इन्द्रियनिग्रह, पर्युषण पर्व और जैन धर्म, जैनधर्म की श्रेष्ठता, धर्म की तात्विक एवं व्यावहारिक मीमांसा, गार्हस्थ्य जीवन मन की महत्ता, सत्यनिष्ठा, इत्यादि इत्यादि अनेक सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, नैतिक, दार्शनिक और व्यवहारिक विषयों पर खूब गवेषणापूर्वक विवेचन किया है और कर रहे हैं एवं मानवजीवन को सर्वांग-सुन्दर बनाने का भगीरथ प्रयत्न किया है । आप के भाषण सुनकर अनेक कुमार्गगामी सुमार्गगामी बन गये हैं ।
आपका हृदय अत्यन्त उदार और सहिष्णु है । आपको किसी सम्प्रदाय विशेष से घृणा या द्वेष तो है ही नहीं, साथ ही आप सब को प्रेम दृष्टि से देखते हैं । यही कारण है कि आप के व्याख्यान में मुसलमान, ईसाई, आर्यसमाजी एवं वैदिक आदि भी खुत्र रस लेते हैं । आप के व्याख्यान प्राय: सार्वजनिक ही होते हैं । व्याख्यान में आप के उच्चतम और उदार आचार-विचार के चिह्न स्पष्ट रूप से अंकित पाये जाते हैं। आप प्रायः प्रतिदिन, घण्टों व्याख्यान देते हैं ।
विशाल अध्ययन
मुनिश्री की वक्तृत्वशैली पर कुछ कहा जा चुका है। एक अच्छे व्याख्याता के लिए और उसमें भी दैनिक व्याख्याता के लिए कितने अधिक वाचन, मनन और अध्ययन आवश्यक है, यह बात विद्वान लोग भलीभांति जानते हैं । विशाल अध्ययन के