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प्रथम अध्याय
पुद्गल के परिणाम पांच प्रकार के हैं-वर्ण परिणाम, गंध परिणाम, रस परिरणाम, स्पर्श परिणाम और संस्थान परिणाम ।
वर्ण परिणाम पांच प्रकार का है-काला, नीला, लाल, पीला और सफेद । गंध परिणाम दो प्रकार का है-सुरक्षिगंध और दुरभिगंध । रस परिणाम पांच प्रकार का है-तिक्त, कटुक, कपायला, प्रास्ल और मधुर । स्पर्श परिणाम आठ प्रकार का है-कर्कश, सृदु, हलका, भारी, ठंडा, गर्म, रुक्ष और स्निग्ध (चिकना)। ' संस्थान परिणाम पांच प्रकार का है-(१) परिमंडल (गोल आकार चूड़ी के समान ), (२) वर्तुल ( लड्ड के समान गोलाकार ), (३) ज्यन्न (तिकोना ।, (४) चतुरस्त्र (चौकोर ), (५) अायत ( लम्बा )।
पुद्गलास्तिकाय के मुख्य दो भेद हैं-परमाणु और स्कंध । पुद्गल के सब से छोटे-अविभाज्य अंश को परमाणु कहते हैं । अनेक परमाणुओं के समूह को स्कन्छ कहते हैं । परमाणु शस्त्र से छिद-भिद नहीं सकता। उसका न अर्द्ध है, न मध्य है और न प्रदेश हैं । जब दो परमाणु इकटे होते हैं तो हिप्रदेशी स्कन्ध बनता है । तीन परमाणुओं के इकट्ठा होने पर त्रिप्रदेशी स्कन्ध बनता है। इसी प्रकार कोई संख्यात. प्रदेश वाला स्कन्ध है, कोई असंख्यात प्रदेश वाला और कोई अनन्त प्रदेश वाला स्कन्ध होता है।
कोई-कोई मतावलक्ष्यी परमाणु को एकान्त नित्य और स्कन्ध को एकान्त अनित्य स्वीकार करते हैं, पर उनकी मान्यता युक्ति संगत नहीं है । वास्तव में प्रत्येक पदार्थ-चाहे वह परमाणु हो या स्कन्ध हो, रूपी हो या अरूपी हो-द्रव्यार्थिक नय . से नित्य और पर्यायार्थिक नय से अनित्य है। परमाणु भी इसी प्रकार नित्यानित्य है
और स्कन्ध भी नित्यानित्य रूप है।
___ शरीर, वचन, मन और श्वासोच्छास-यह सब पुद्गल द्रव्य से बनते हैं। अतएच इनका बनना युद्गल का उपकार है। . पुद्गल द्रव्य में कई जातियां हैं । उन्न जातियों को वर्गसा कहते हैं। वर्गणा अर्थात् एक विशिष्ट प्रकार के पुद्गल परमाणुत्रों का समूह । मुख्य वर्गणाएं इस प्रकार हैं-औदारिक वर्गणा, वैक्रिय वर्गणा, आहारक वर्गखा, तेजल वर्मणा, कार्मण चर्गणा, भाषा वर्गणा, मनो वर्गणा, और श्वासोच्छवास वर्गणा।
औदारिक वर्गणा-जो पुद्गल औदारिक शरीर रूप परिणत होते हैं उन्हें औदारिक वर्गणा कहते हैं।
. वैक्रियक वर्गणा-जो पुद्गल वैक्रियक शरीर रूप परिणतं होते हैं उन्हें वैक्रियक वर्गणा कहते हैं। .... आहारक वर्गणा-श्राहारक शरीर रूप परिणत होने वाले पुद्भत आहारक वर्गणा कहते हैं। ... तैजस वर्गणा-जिन पुलों से तैजस. शरीर बनता है उन्हें तैजस वर्गणा