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प्रस्तावना.
ते जीव बे. तेना धर्म, अधर्म, आकाश, पुल छाने काल एवा पांच भेद बे.
श्रीजुं पुण्यतत्व ने चोथुं पापतत्व - सत्कर्मपुल ते पुण्य बे, अने ते - नाथ विपरीत ते पाप बे. पुण्य पापथीज जीवने उत्तरोत्तर सुखदुःख प्राप्त या बे. दानादि शुभ क्रिया पुण्यनुं कारण बे; ने हिंसादि अशुक्रिया पापनुं कारण बे. जीवमात्रमां श्रात्मत्व तो सरखुंज बे, बतां मनुष्य, पशु यदि प्रमुख विचित्रता जे जणाय बे, तेनुं कारण पुण्यपाप बे.
पांच व तत्व बे. जेनाथी जीवने कर्म प्राप्त थाय ते याश्रव. तेना मिथ्यात्व, अविरति, कषाय, योग, श्रा हेतु बे. सद् देव, गुरु, धर्मने सत् रूपे मानवानी जे बुद्धि ते मिथ्यात्व, हिंसादिथी न विरमनुं ते अविरति, क्रोध, मान, प्रमुख ते कषाय, छाने मन, वचन, कायानो व्यापार ते योग. सारांश के ज्ञानावरणीयादि कर्म बंधना हेतु ते श्राश्रव तत्व बे.
तुं संवर तत्व बे. मिथ्यात्व, अविरति कषाय ाने योग रूप - वनो सम्यग् दर्शन, विरति, कमादि छाने त्रिगुप्ति आदि धर्मना श्राचरret निरोध अर्थात् निवारण ते संवर. सारांश के जीवने कर्म उपादान हेतुभूत परिणामनो नाव ते संवर बे.
सातनुं निर्जरा तत्व बे. जीवसाथे बंधायेला ज्ञानावरणीयादि कर्मनुं बार प्रकारना तपथी बुटा पडवुं ते निर्जरा बे तेना वे प्रकार बे. १ सकाम, २ काम. अति पुष्कर तपश्चर्या करनारा, कायोत्सर्गमां रहेनारा, बावीस परीषद सहन करनारा, लोचादि काय क्लेश जोगवनारा, अष्टादश शीलांग रथना धारण करनारा, बाह्य, अभ्यंतर सर्व परिग्रहना त्यागनारा, चारित्रीसकाम निर्जरावालां बे. देशविर तिने पण सकाम निर्जरा थाय बे बाकी काम निर्जरावालां बे.
श्रमुं बंध तत्व बे. बंध अर्थात् बंधन, अर्थात् जीव श्रने कर्मप्रदेश पुजलनो कीरनीर जेवो संबंध.
सवाल - जीव अन्य तरेनो बे ? उत्तर - कंचुकिक
ने कंचुकना जेवो नथी, परंतु श्रम अने लोहना जेवो तेमज कीर ने नीरना जेवो, कर्म अने जीवनो संबंध परस्पर -
ने कर्मनो संबंध कंचुकिक ने कंचुकना जेवो बे के