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विषय
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवा भाग .....~~~~~~ mmmmmun
बोल भाग पृष्ठ पाल ना
प्रमाण अंक की कथा प्रोत्प- ६४६ ६ २७४ न० स० २७ गा० ६४ टी. त्तिकी बुद्धि पर अंग पन्द्रह मोक्ष के ८५० ५ १२१ पंच व० गा० १४६ १६३ १ अंग प्रविष्ट श्रत ८२२ ५ १० न.स ४५,विशे गा ५५०.५२ अंग प्रविष्ट श्रुतज्ञान १६ १ १३ न सू ४५,टा.२ उ १ स ७१ अंग वाह्य श्रुत ८२२ ५ १० न स ४४ विशे गा ५५० ५२ अंग वाह्य श्रुतज्ञान १६ १ १३ न स ४४, ठा. २ ३ १ सु . अंग सूत्र ग्यारह ७७६ ४ ६६ २अंगार दोष ३३० १ ३३६ ध अधि.३श्लो.२३ टी पृ.५५,
पिनि गा ६५५-६०, उत्त
घ २४ गा १२ टी. अंगुल के तीन भेद ११८ १ ८३ अनु सृ. १३३ अंगुष्ठ संकेत पञ्चक्रवाण ५८६ ३ ४३ प्राव ह भ नि गा १४७८,
प्रव द्वा ४ गा २०० अंजकुमारी की कथा ६१० ६ ५० वि अ. १० ३ भकण्डूयक ३५६ १ ३७३ ठा ५ उ १ सू.३६६ अकम्पितस्वामी गणधर ७७५ ४ ५२ विशे.गा, १८८५ से १६०४ कीनरक विषयक शंका
और समाधान अकर्मभूमि के तीस भेद ६५७ ६३०७ पन्न. प १ स. ३७ अकर्मभूमिज
७१ १ ५१ ठा.३ उ. १ सू. १३०, पन्न प.१
स ३५,जी. प्रति ३ स १०५ अकर्मभूमि छः जम्बु. ४३५ २ ४१ ठा.६ ३ ३ सू. ४२१ दीप की
१ श्रुतज्ञान का भेद । २ माहार का दोप । ३ शरीर को न खुजलाने घाला साधु।