________________ श्री मेटिया जैन प्रथमाला _ विषय घोल भाग पृष्ठ प्रमाण स्तीक 551 2 26 ज.वन. सृ 18 स्न्यानगृद्धिनिद्रा 416 1 443 पन १२ः,कर्म भा गा 11-10 स्त्री कथा के चार भेद 146 1 107 या 43 2 1 282 टी स्त्रीकथा से होनेवाली हानि१४६ 1 108 ठाउ.पू 282 टी. स्त्री की कथा औत्पत्तिकी 646 6 268 नं २७गा.६३ टी बुद्धि पर स्त्री के गर्भ में जीव उत्कृष्ट 618 6 141 भाग २उ 4 सू : 0 1, प्ररद्धा. कितने काल तक रहता है? 41242 गा 1960 स्त्रीनीर्थकर आश्चर्य 681 3 278 ठा 503 3 ५७७,अब दा.१३८ स्त्रीलिंग सिद्ध 846 5 116 पा 1.17 स्त्री वंद 68 146 वृउ 4, फर्म गा गा. स्थाण्डिल के चार भांग 182 1 137 उत्तय 24 गा.१६ स्थण्डिल के दस विशेपण 676 3 264 उत्त.प 28 गा 16.18 स्थलचर 406143610 ११४३२,उत्तम ३६मा 170 स्थविर कल्प का क्रम 522 2 251 विशे. गा. स्थविकल्प के १२विशंपण८०६ 4 314 ध वि स 366 स्थविर कल्पस्थिति 443 247 टा23 07 २०६,टा 63. 160, वृ (नी) उ६ स्वविकल्पीयथालन्दिक 522 2 260 विगे गा 7 स्थावरकल्पी साधुओं के 833 5 28 पंच व गा 371-776 लिय१४मकार के उपकरण स्थविर तीन 11 166 टा 32.3 146 स्थविर दस 66. 3 232 वा 103.3.361 स्थावर पदवी 513 2240 टा: 3.157 टी