________________ श्री सेठिया जैन मन्यमाला विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण सूत्र की वाचनादेनकेचोल३८२ 1 398 टा 5 उ 3 सू 468 मूत्र के बत्तीस दोप तथा 667 7 २३अनु मृ 14 १टी.,विशे.गा.६६Eटी., आठ गुण वृ.पीठिका नि गा 258-285 मूत्र के बारह भेद 778 4 235 वृउ.१नि गा 1221 1 मूत्रधर पुरुप 84 161 ठा ३उ स 166 मुत्र पढ़ने के बत्तीस अस्वा-६६८ 7 28 टा म 284,714, प्रव. द्वा ध्याय २६८गा १४५०-१४७१,न्यव. भा उनि गा 266-316, मावर प.४निगा 1321-6 . मृत्रपढाने की मर्यादा और५१४ 2 243 ठा 53 1 ३६E,टा ७मृ 544, दीक्षा पर्याय व्यव मा र 108 21-35 मूत्र वत्तीय 666 7 21 मूत्र रुचि 663 3 363 उत्त अ 28 गा 21 मूत्र श्रुन धर्म 16 1 15 ठा 23.11.50 मृत्र सीखने के पॉच स्थान३८३ 1 366 ठा.४३ 3 468 मृत्र सुनने के सात घोल 506 2 234 विशे गा 565 * मूत्र स्थविर ह१ 166 ठाउ.पृ.१४६ मूत्रागम 83 160 अनुस् 144 मुयगडांगमूत्र के ग्यारहवं ह८५ 7 136 मृय भ.११ मार्गाध्ययनकी३८गाथाएं मृयगडांग मृत्र के चौथे अ०६६३ 7 8 सय अ.४ उ / प्रथम उ० की 31 गाथाएं पन यो धारमा करने वाला नाम पाटक. पुरुष सूत्रधर यदलाता है। २८riग मार गमरायांग सूत्र के माता गायु स्त्रग्यावर कहलाते हैं।