________________
(२९) साहित्यरत्न दरबारीलाल न्यायतीर्थ(विद्यमान)
न्यायप्रदीप, हिन्दी
टीकाकार-आचार्य श्रीमलयगिरि
पनवगा (प्रज्ञापना) मुल-प्राकृत- टीका मस्कृत पंच सग्रह ( चार भाग) मुल-प्राकृत,टीका सस्कृत पच प्रतिक्रमगा
मुलकर्ता-श्रीचन्द्रर्पि महत्तर टीकाकार-प्राचार्य श्री मलयगिरि
श्रीहरिभद्रसूरि [वि की शताब्दी]
साहित्यरत्न कार्यालय जुबिलीवाग तारदेव बम्बई, वि स १९८६ प्रागमोदय समिति वीर सं २४४४ श्रावक हीरालाल हसराज जामनगर, वि स १९६६ श्री जैन श्वेताम्बर मित्र मडल लायवेरी,घी वालों का रास्ता जयपुर, वीर स २४५४ देवचद्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फड यम्बई, वीर स २४५३ श्री जैन धर्म प्रसारक सभा भावनगर, वीर स २४३४ श्रीभैरोंदान जेठमल सेठियावीकानेर,वीरस.२४६६ श्री परमश्रुतप्रभावक मडल झवेरी बाजार बम्बई, वीर स. २४४२ श्री जानकीनाथ शर्मा सस्कृत विद्यालय निवेदिता लेन कलकत्ता
पच वस्तुक स्वोपज्ञवृत्ति सस्कृत,मूल-प्राकृत पचाशक, मूल प्राकृत, टीका-सस्कृत पचीस वोल का थोकड़ा। परमात्म प्रकाश, मूल-प्राकृत,टीका संस्कृत भाषा अनुवाद सहित पिगलसूत्र(पिगलच्छन्द सुत्रम्)सस्कृत(पचमावृत्ति)
श्री हरिभद्रसरि [वि छठी शताव्दी] टीका-श्रीअभयदेवसूरि[वि १०७२-११३५]
मूलकार-योगीन्द्रदेव, टीकाकार-ब्रह्मदेव[सोलहवीं शताब्दी) भाषा टीकाकार-पडित दौलतरामजी श्री पिगलाचार्य