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श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, पाठवा भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण, ,। श्रावक के सत्रह लक्षण ८३ ५ ३९२ व.अधि २ श्लो.२२ टी.पू.४६ श्रावक के सातवें उपभोग६४३ ६ २२५ उपा असू ६,ध अधि.२श्लो. परिभोग परिमाण व्रत में ' ३४टी पृ८०,श्रा प्रति.. मर्यादा के छब्बीसंबोल
आवकको माता पिता,भाई,१८४ १ १३८ ठा ४३.३ सू ३२१ ". मित्र गौर सौत से उपमा श्रावक दस ६८५ ३ २६४ उपा.अ १-१० श्रावक भार्या का दृष्टान्त ७८० ४ २४५ माव ह गा १३४, बृ.पीठिका भाव अननुयोग पर
निगा १७२' श्रावक भार्या की पारिणा-६१५ ६ ८४ न रु २७गा ७२, माव'ह. मिकी बुद्धि की कथा
गा श्रावकों के अप्पारंभा अप्प-८६० ५ १४४ उब सू ४१,सूय ध्रु.२.२सू ३ परिग्गहा आदि विशेषण श्रुत ज्ञान
१५ १ १३ ठा २उ १सू.७१, भ.श ८उ २ सू.
.. ३१८,कर्म भागा ४,न.स श्रुतज्ञान
३७५ १ ३६० ठा५३ ३ सृ.४६३,कर्म.भा १.
गा४,न सं १ श्रुतज्ञान के चौदह भेद ८२२ ५ ३ न पृ:८-४४,विशे गा.४५४-५५२ श्रुतज्ञान के दो भेद १६ १ १३. न म ४४,ठा २३ १सू ७१ श्रुत ज्ञान के वीस भेद ६०१ ६ ३ को भा.१गा . श्रुतज्ञान साकागेपयोग ७८६ ४२६८ पन्न प २६ न्यू ३ १२ अतज्ञानावरणीय ३७८ १ ३६४ ठा, मू ६.४,कर्म भा गा. श्रुत धर्म
१८ ११५ ठा २८ १८ १२
६९२ ३३६१ टा १०उ : मृ ७६० अन धर्म के दो भेद १६ १ १५ ठा २३.१ र ७२
श्रत धर्म