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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण श्रावक के चार प्रकार १८४ ११३८ ठा ४३.३मू ३२१ श्रावक के चार विश्राम १८८ १ १४२ ठा ४३.२सू ३१४ श्रावक के चार शिक्षाबत १८६ १ १४० श्राव ह अ.६८३१-८३६,
पंचा १गा.१-३२ श्रावक के चौदह नियम ८३१ ५ २३ गिना.,ध अधि २श्लो ३४५६ श्रावक के छःगुण ४५२ २ ५६ धर गा ३३ श्रावक के तीन गुण व्रत १२८क १६१ प्राव ह म पृ८२६-८२६ श्रावक के तीन मनोरथ ८८१ ६४ ठा ३२ ४ स २१० श्रावक के दसलक्षण ६८४ ३ २६२ भग २३.५ १०५ श्रावक का पॉच अणुव्रत ३०० १ २८८ भाव र भ.६५.८१७८२६,ठा
४ सू३८६,उपाय १६,ध
अधिग्लो .२३.२६.४७६. श्रावक के पाँच अभिगम ३१४ १ ३१५ भश २३ ५ १०६ श्रावक के पतीस गुण ८० ७ ७४ यो प्रका १श्लो ४७.५६ श्रावक के प्रत्याख्यान १००३ ७२६७ भ शउसू. ३२६ के उनचास भंग श्रावक के बारह भावव्रत ७६४ ४ २८० मागम निश्चय और व्यवहार से श्रावक के बारह व्रत (तीन गुणावत) १२८क १६१ । प्राव ह म १८१५.८३६,
उपा.मा ,ध अधि.२ लो. (चार शिक्षा व्रत) १८६ १ १४०
२३.४.१.५३-६४, ठा (पाँच अणुव्रत) ३०० १ २८८E,पंचा.१ गा ७.१२ भावक के बारह व्रत ४६७ २ २०० श्रावक पं. वारह वनों के ३०१.१
उपास जमाव.६ साठ अनिनार
पृ-१७,५ मधिलो . १२ ३१४ १३.४८.१००-१११