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मार. ह. टि.
(२२)
भावश्यक हरिभद्रीय टिप्पण, सस्कृत मलधार गच्छीय श्री हेमचन्द्रसूरि
उत
मा.वि. आभ्यात्मिक विकासक्रम, गुजराती प सुखलालजी सघवी ( विद्यमान) उत्त. उत्तराध्ययन सूत्र (दो विभाग) सटीक नियुक्तिकार-श्रीमद्रबाहुस्वामी ।
' मूल और नियुक्ति-प्राकृत,टीका संस्कृत टीकाकार श्री शन्त्यिाचार्य (११वीं शताब्दी) उत्त. (क) उत्तराध्ययन सूत्र सटीक,मूल प्राकृत, टीका कार-श्रीकमल सयमोपाध्याय
' टीका संस्कृत वि स.१५४४ ( सोलहवीं शताब्दी )
सर्वार्थ सिद्धि टीकार । - 'उत्त (ह) उत्तराध्ययन सूत्र हस्तलिखित उपा. उपासकेंदशांग सूत्र सटीक
टीकाकार-अभयदेवमूरि ! "
मूल प्राकृत,टीका संस्कृत । (वि स. १०७२११३५ ) , उपा. (म.) : उपासकदशाग सूत्र अंग्रेजी अनुवाद) अनुवादक- ए एफ. रुडोल्फ हार्नले उपा ह 'उपासकदशाग सूत्र हस्तलिखित
देवचद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फड बम्बई, वीर सं २४४६ एस जे शाह,मादलपुर अहमदाबाद,वि. स. १९८५ देवचद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फड, बम्बई, वीर स २४४२ विजय धर्म लक्ष्मी ज्ञान मदिर बेलनगज, आगरा वीर स २४४६-२४५१ श्री सेठिया जेन ग्रन्थालय बीकानेर
आगमोदय समिति , पीर स. २४४६ बिब्लोथिका इन्डिका कलकत्ता, सन् १९८० ई. अनूप सस्कृत लायरी, (बीशनर का प्राचीन पुस्तक भंडार ) बीकानेर मागमोदय समिति, वीर सं २४४२
उव.
पि
उववाई (भोपपातिक) सूत्र __ मूल प्राकृत,टीका, सस्कृत,
मृपि मडल वृत्ति मूल-पाकृत, टीका-सस्त, अनुवाद-गुजराती
दीकाकार-अभयदेवसूरि ...(वि. स १०७२-११३५)
धर्मघोपसूरि, टीकाकार-शुभवर्द्धनगी " अनुवादक-शास्त्री हरिशकर कालीदास
श्री जैन विद्याशाला डोशीवाड़ानी पोल अमदावाद, वि सं. १६५८