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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
विपय घोल भाग पृष्ठ प्रमाण प्रतान स्वप्न दर्शन ४२१ १ ४४४ भरा १६उ ६सू ५७७ प्रतिक्रमण आवश्यक ४७६ २ ६१ प्राव ह प ४ प्रतिक्रमण कल्प ६६२३ २४० पचा १७ गा.३२-३४ प्रतिक्रमण के पाठ भेद ५७६ ३ २१ भाव ह प ४नि गा १२३३और उन पर दृष्टान्त
१२४२ प्रतिक्रमण के छः भेद ४८० २ १४ टा.६उ ३ सु.५३८ प्रतिक्रमण क्याव्रतरहित ११८६ १४४ प्राव ह य ४नि.गा १२७०टी को भी करना चाहिए?
१५६८,पंच प्र (बदित्ता सूत्र) प्रतिक्रमण पर कथा ५७६ ३ २२ ग्राव. ध नि गा १२४२ प्रतिक्रमण पॉच ३२६ १ ३३७ ठाउ ३ सू ४६७,याव ह भ ४
निगा १०५०-१०५१ प्रतिघात पाँच
४१६ १४४० ठा ५३ १सू ४०६ १मतिचरणा पर कथा ५७६ ३ २३ प्राव हम ४नि गा १२४२ प्रतिज्ञा
३८० १३६६ रत्ना परि.३,न्यायदी.प्रका ३ प्रतिपत्ति श्रुत
६०१ ६४ कर्म भा १ गा." प्रतिपत्ति समास श्रत ६०१ ६४ कर्म.भा १ गा ७ प्रतिपाती अवधिज्ञान ४२८ २ २८ ठा६ मृ.५२६,नं स्पृ १४ प्रतिपणे पोषध व्रत के ३११ १ ३११ उपाय १.७ पाँच अतिचार प्रतिपृच्छा समाचारी ६६४ ३ २५० मश-१७ मृ८०१८ा १.
उ३७८६,इत.२६गा २, प्रयदा १०१ गा ७६०
१ सयम का सावधानता पूर्वक निटोंप पालन बग्ना प्रनिररणा है।
२ गुरु ने पहले जिस कार्य के लिए निषेध पर दिया है उसी कार्य में ग्रावग्यातानुसार फिर प्रवृत्त होना हो तो विनय पूर्वक गुरु में पटना।