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________________ २१६ श्री संठिया जैन अन्यमाला विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण पाँचस्थानछद्मस्थकेपरिपह३३१ १ ३४० ठाउ १ सू ४.६ उपसर्गसहन करने के पाँचस्थानभगवान् महावीर ३५३-१ ३६७-६ से उपदिष्ट एवं अनुमत ३५७ १ ३७३ । ठाउ १८.३६६ पाँचस्थानभगवान् महावीर३५६ १ ३७३ ठाउ.११.३६६ से उपदिष्ट एवं अनुमत पाँच स्थान सूत्र सीखने के ३८३ १ ३६६ टा./उ ३ सृ.४६८ पाँच स्थावरकाय ४१२ १ ४३७ ठा.उ.१२ ३६३ पारखण्ड धर्मर ६६२ ३ ३६१ या १०उ.३स ७६ . पाणिमाण विशोधन ४४८२ ५३ ठा.६उ.३सू ५०३,उत्तम २६ प्रतिलखना गा२४ १ पाण्डक निधि ६५४ ६ २२१ ठाउ ३ सू ६७३ पात्र परिकर्मोपघात ६६८३ २५५ ठा १०उ.३८ ७३८ पादपोपगमन मरण ८७ ५ ३८५ सम १७,प्रवद्वा.१५७गा.१००७ पान पुण्य ६२७ ३ १७२ ठाउ ३ स ६७६ पानी(धोक्न) इक्कीस ११२ ६ ६३ भाचा.ध्रु २५.१ ७ ८सू ४१, प्रकार का ४३, पिनि गा १८-२१,दा. अ.५उ १ गा.७५-७६ पानपणा के सात भेद ५२० २ २५० माचा. २ च. १६ १७ ११ सु ६२,ठा. ड. सू५४४टी. घधि ३ श्लो २२टी ५ पाप प्रकृतियॉवयासी ८०६ ४ ३५१ / कर्म भा.५ गा. १६-१७, पाप प्रकृतियाँ क्यासी ६३३ ३ १८२) नागा.१३-१५ १ चम्वती की नौ महानिधियों में से दूसरी निधि । --
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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