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अध्ययन गई है। मका त्याग का भावार्थ दि कारणों का पता
श्री जैन सिद्धान्त चौल संग्रह, सातवां माग और दूसरी ओर जीवन दिया जाय तो वह करोड़ों का धन नहीं लेगा क्योंकि सभी जीना चाहते हैं।
सैंतीसवाँ बोल . ६८४-उत्तराध्ययन सूत्र के दसवें द्रुमपत्रक
अध्ययन की सैंतीस गाथाएं उत्तराध्ययन सूत्र के दसवें अध्ययन का नाम द्रुमपत्रक है। इस अध्ययन में वृक्ष के पत्ते आदि दृष्टान्तों से मनुष्य भव की अस्थिरता वतलाई गई है। मनुष्य जन्म श्रादि की दुर्लभतो का वर्णन कर शास्त्रकार ने प्रमाद का त्याग कर धर्माचरण करने का उपदेश दिया है । इसमें सैंतीस गाथाएं हैं। भावार्थ इस प्रकार है- .
(१) वृक्ष का पवा अवस्था अथवा रोगादि कारणों से विवर्ण एवं जीर्ण हुआ कुछ दिन निकाल कर वृन्त से शिथिल हो गिर पड़ता है। मनुष्य जीवन की स्थिति भी पत्र जैसी ही है। यौवन और श्रायु अस्थिर हैं। इसलिये हे गौतम ! समयमात्र भी प्रमाद न करो।
(२) जैसे घास पर रही हुई ओस की बूद थोड़े समय तक अस्थिर रह कर गिर पड़ती है। मानव जीवन भी श्रोस वू'द की तरह अस्थिर है, न मालूम कर यह समाप्त हो जाय १ अतएव हे गौतम ! क्षण भर भी प्रमाद न करो।
(३) मनुष्य की जिन्दगी बहुत छोटी है विस पर भी अनेक विघ्न बाधाएं बनी रहती हैं। इनके कारण जीवन का कोई भी निश्चय नहीं। जीवन की अस्थिरता और अनियतता को जानकर पूर्वकृत कर्मों का नाश करने के लिये प्रयत्न करो और हे गौतम ! तुम जरा भी प्रमाद न करो।
(४) यह मनुष्यभव सभी प्राणियों के के लिये दुर्लभ है। बड़े