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________________ श्री जैन सिमान्त बोल संग्रह, सातो भाग १२५ उत्तर की वृद्धि होती है और उत्तर की वृद्धि होने पर पहले की वृद्धि हो भी सकती है और नहीं भी । गाथा यह है --~-- काले चउण्ह वुड्ढी, कालो भइयाव्वु खित्तबुड्ढीए । बुढीइ दञ्च पजव, भइयव्वा खित्तकाला उ ॥ भावार्थ-जन अवधिज्ञान का विषय काल की अपेक्षा बढ़ता है तो चारों द्रव्य, क्षेत्र, काल और पर्याय की वृद्धि होती है। क्षेत्र की अपेक्षा अवधिज्ञान के विषय की वृद्धि होने पर द्रव्य पर्याय के विषय की वृद्धि होती है पर काल की भजना है । कारण यह है कि क्षेत्र सूक्ष्म है और काल क्षेत्र की अपेक्षा स्थूल है । द्रव्य की अपेक्षा अवधिज्ञान के विषय की वृद्धि होने पर पर्याय विषयक अवधिज्ञान की वृद्धि होती है तथा काल और क्षेत्रं चिपयक वृद्धि की भजना है क्योंकि काल और क्षेत्र, द्रव्य पर्याय से स्थूल हैं। पर्याय विषयक अवधिज्ञान की वृद्धि होने पर द्रव्य विषयक वृद्धि की भनना है । पर्याय सूक्ष्म हैं और द्रव्य उनकी अपेक्षा स्थूल है। इस प्रकार इन चारों में काल क्षेत्र द्रव्य और भाव (पर्याय)क्रमश: एक दूसरे से सूक्ष्म सूक्ष्मतर हैं। (हरिभद्रीयावश्यफनियुक्ति गाथा ३६-३७) (३०) प्रश्न-देवता कौन सी भाषा बोलते हैं ? उत्तर-भगवती सूत्र के पाँचवें शतक के चौथे उद्देशे में गौतम स्वामी ने भगवान महावीर से यही प्रश्न किया है । उत्तर में कहा गया है कि देवता अर्द्धमागधी भापा बोलते हैं और बोली जाने वाली भाषाओं में अर्द्धमागधी भाषा विशिष्ट है । टीकाकार ने प्राकृत, संस्कृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश ये छ भाषाएं दी हैं और अर्द्धमागधी का स्वरूप बतलाते हुए कहा हैजिस भाषा में आधे लक्षण मागधी भाषा के हो और आधेप्राकृत भाषा के हों वह अर्द्धमागधी भाषा है। भाषा आर्य की व्याख्या करते हुए प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में जिस भाषा वह अर्द्धमाशा करते हुए प्रभाव
SR No.010514
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2053
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size6 MB
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