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श्री जैन सिद्धान्त बाल संग्रह, छठा भाग भव में कौशाम्बी नगरी का धनपाल नामक राजा था। वैश्रमण भद्र मुनि को शुद्ध आहार पानी का प्रतिलाभ दिया था। फिर यहाँ उत्पन्न हुआ।दीक्षाअङ्गीकार की और महानिदेह में केवल ज्ञान, केवल दर्शन उपार्जन कर सुबाहु कुमार की तरह सिद्ध, बुद्ध यावत् मुक्त होगा। • (१५) जिनदास कुमार की कथा
सौगन्धिका नगरी में अप्रतिहत राजा राज्य करता था।रानी का नामसुकन्या और पुत्र का नाम महाचन्द्र था ।महाचन्द्र के अरहदत्ता स्त्री और जिनदास पुत्र था। जिनदास पूर्वभव में मध्यमिका नगरी में सुधर्म नामका राजा था। मेघरथ अनगार को शुद्ध आहार पानी का दान दिया, मनुष्य आयु वाँधकर यहाँ उत्पन्न हुआ । तीर्थङ्कर भगवान् के पास धर्म श्रवण कर यथा समय दीक्षा अङ्गीकार की और केवलज्ञान, केवलदर्शन उपार्जन कर मोक्ष प्राप्त किया। (१६) धनपति (वैश्रमण) कुमार की कथा
कनकपुर नगर में प्रियचन्द्र नाम का राजा और सुभद्रा नाम की रानी थी !पुत्र का नाम वैश्रमण कुमार था ।श्रीदेवी आदि पाँच सौ कन्याओं के साथ उसका विवाह हुआ। वैश्रमण कुमार पूर्वभव में मणिपदा नगरी में मित्र नाम का राजा था । सम्भूति विजय अनगार को शुद्ध दान दिया। फिर यहाँ उत्पन्न हुआ।तीर्थङ्कर भगवान के पास उपदेश सुन कर वैराग्य उत्पन्न हुआ । दीक्षा अङ्गीकार कर मोक्ष में गया।
(१७) महाबल कुमार की कथा महापुर नगर में चल नाम का राजा राज्य करता था। रानी का नाम सुभद्रा और कुमार का नाम महावल था। रावती आदि पाँच सौ कन्याओं के साथ विवाह हुआ। महावल कुमार पूर्वभव