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________________ [ ३ ] दो शब्द श्री जैन सिद्धान्त - वोल संग्रह के छठे भाग में २० से ३० तक ग्यारह बोल संग्रह किये गये हैं । इन वोलों मे आनुपूर्वी, साधु श्रावक का आचार, द्रव्यानुयोग, कथा सूत्रों के अध्ययन, न्याय प्रश्नोत्तर आदि अनेक विषयों का समावेश हुआ है । कागज की कमी के कारण थोकड़े सम्बन्धी कई वोल हम इस भाग मे नहीं दे सके हैं। सूत्रों की मूल गाथायें भी इसमें नहीं दी जा सकी हैं। प्रमारग के लिये उद्धृत ग्रन्थों की सूची प्रायः इसके भाग १ से ५ और ८ भाग के अनुसार है। वोलों के नीचे सूत्र और ग्रन्थ का नाम प्रमाण के लिये दिया हुआ है इसलिये इसमें नहीं दिया गया है । तीर्थकरों के वर्णन में सप्ततिशत स्थान प्रकरण ग्रन्थ से बहुत सी बातें ली गई हैं। बोल संग्रह पर विद्वानों की सम्मतियों प्राप्त हुई है । वे भी कागज की कमी के कारण इस मे नहीं दी जा सकी हैं । 1 श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह के छठे भाग की द्वितीयावृत्ति पाठकों के सामने प्रस्तुत है । इसकी प्रथमावृत्ति संवत् २००० मे प्रकाशित हुई थी । पाठकों को यह बहुत पसन्द आई। इसलिए थोड़े ही समय में इसकी सारी प्रतियां समाप्त हो गई । इस ग्रन्थ की उपयोगिता के कारण इसके प्रति जनता कि रुचि इतनी बढ़ी कि हमारे पास इसकी मांग वरावर आने लगी । जनता की माग को देख कर हमारी भी यह इच्छा हुई कि इसकी द्वितीयावृत्ति शीघ्र ही छपाई जाय किन्तु प्रेस की असुविधा के कारण इसके प्रकाशन में विलम्व हुआ है । फिर भी हमारा प्रयत्न चालू था । आज हम अपने प्रयत्न में सफल हुए हैं। अतः इसकी द्वितीयावृत्ति पाठकों के सामने रखते हुए हमें आनन्द होता है । 'पुस्तक शुद्ध छपे ' इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है फिर भी दृष्टिदोष से तथा प्रेस कर्मचारियों की असावधानी से छपते समय कुछ अशुद्धियां रह गई हैं इसके लिए पुस्तक में शुद्धिपत्र लगा दिया गया है । अतः पहले उसके अनुसार पुस्तक सुधार कर फिर पढ़ें। इनके सिवाय यदि कोई अशुद्धि आपके ध्यान में आवे तो हमें सूचित करने की कृपा करें ताकि आगामी आवृत्ति में सुधार कर दिया जाय । वर्तमान समय में कागज, छपाई और अन्य सारा सामान महंगा होने के कारण इस द्वितीयावृत्ति की कीमत बढ़ानी पड़ी है फिर भी ज्ञान प्रचार की दृष्टि से इसकी कीमत लागत मात्र ही रखी गई है। इस कारण
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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