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-श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला annannämmmmmmmmmmmmmmmm से हाथ धो बैठता है तथा परस्त्री का अनुरागी अपना सर्वस्व नाश कर देता है और नीच गति में जाता है। . ..... - जैनागमों में ज्ञातासूत्र अध्ययन १८सू. १३७ (चिलाती पुत्र की कथा में मृगया,(शिकार) के सिवाय छः व्यसनों के नाम मिलते हैं। पाठ इस प्रकार है-तरणं से.विजाए दासवेडे अणोहट्टिए अणि वारिए सच्छंदमई सहरप्पयारी मज्जपचंगी, चोजपसंगी, मंसपगी, जूयप्पसंगो, वेसापसंगी, परदारप्प उंगो जाए यावि. होत्था । ... . अर्थ-इसके बाद उस विलात दामपुत्र को अकार्य में प्रवृत होने से कोई रोकने वाला और मना करने वाला न था इसलिए स्वच्छन्दमति एवं स्वच्छंदाचारी होकर वह मदिरा, चोरी, मास, जूषा, वेश्या और परस्त्री में विशेष आसक्त हो, गया । ... बृहत्कल्प सूत्र प्रथम उद्देशे के भाष्य में राजा के सात व्यसन दिये हैं. जिनमें से चार उपरोक्त सात व्यसनों में से मिलते हैं और अन्तिम तीन विशेष हैं। भाष्य की गाथा यह है:-. . इत्थी जूयं मज्ज मिगळ, वयणे, तहा-फरुसया य। दंडफरुसत्त मत्थस्स; दूसणं सत्त: वसणाई ।।.६४०॥
भावार्थ-स्त्री, जूमा, मदिरा, शिकार, वचन की कठोरता, दंड की सख्ती तथा अर्थ उत्पन्न करने के साम दाम दण्ड भेद इन चारों उपायों को दूपित,करना ये सात व्यसन हैं। . . . . (१६) पश्न-लोक में अन्धकार कितने कारणों से होता है ?
उत्तर-स्थानांग पत्र के चौथे ठाणे.के तीसरे उद्देशे में लोक में अन्धकार होने के चार कारण बतलाये हैं, जैसे- . : चउहिं. ठाणेहि लोगंधयारे सिया, तंजहा-अरहंतेहिं वोच्छिज्जमाणेहि, -- अरहंतपएणत्ते धम्मे - वोच्छिज्जमाणे, पुव्वगए - चोच्छिज्जमाणे, जायतेथे वोच्छिज्जमाणे ।
चार कारणों से अन्धकार होता है-(१) अरिहन्त भगवान का
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