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*दन
दाह rammarwrmirmanawww.ma--- केतिर दिस बना हुआ रजोहरण (ोघा)।
(२६ मन्त्राल-वायुकाय के जीवों की रक्षा के लिए मुंह परवाँग जाने वाला कपड़ा।
(१३ मात्रक (पड़या)-लघु शङ्का आदि परठने के काम में आने वाला पात्र विशेष!
(१४) चोलपट- गुप्त अंगों को ढकने के लिए धोती के स्थान पर बाँधा जाने वाला कपड़ा।
नोट-इन चौदह उपकरणों में से जिनकल्पी को बारह तक रखना कल्पना है। मात्रक और चोलपट्ट रखना नहीं कल्पता ।
(पञ्चवस्तुक गाथा ७७१-७४६) ८३४-साधु के लिये अकल्पनीय चौदह बातें
साधु, साध्वी को गृहस्थी के घर बिना कारण निम्न लिखित चौदह वातें करनी नहीं कल्पती। ___ (१) गृहस्थी के घर में जाना (२) खड़े रहना (३) बैठना (४) सोना (५) निद्रा लेना (६) विशेष रूप से निद्रा लेना (७) अशन, पान, खादिम, स्वादिम इन चार प्रकार के आहार में से कोई भी
आहार करना (८) बड़ीनीति और लघुनीति तथा खेंखार और नाक का मैल आदि परिठवना (8) स्वाध्याय करना (१०)ध्यान करना (११) कायोत्सर्ग करना (१२)भिक्खु की बारह पडिमाओं में से कोई पडिमा स्वीकार कर कायोत्सर्ग करना । अपवाद मार्ग में यदि कोई साधु या साध्वी स्थविर,रोगी, तपस्वी और दुर्बल हो अथवा मूछो (चक्कर) आती हो और वृद्धावस्था के कारण शरीर स्थिर न रहता हो, इन कारणों में से कोई कारण हो तो उपरोक्त वारह बातें साधु को गृहस्थी के घर में कल्पती हैं।
(१३) साधु,साध्वी को गृहस्थी के घर में शास्त्र की चार गाथा अथवा पाँचगाथाओं का उच्चारण करना,उन गाथाओं का विस्तार