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भी मेठिपा जैसम्पमाला ~~~~mmmmmmmmmmmmmmmmmman womrammmm. कुमार राज्य सम्भाल लेगा मौर में शोकमुक्त हो जाऊँगी तो स्वयं भापके पास चली आऊँगी। आप किसी बात के लिए मुझ पर अप्रसन्न न छोइएगा। यदि आपने मेरी इस बात पर ध्यान न दिया भौरशोक की अवस्था में भी राज्य और मुझ पर अधिकार जमाने का प्रयत्न किया तो मुझे प्राण त्यागने पड़ेंगे। इससे आपका मनोरय मिट्टी में मिल जाएगा। इस लिए लड़ाई बन्द करके भाप भपने राज्य की ओर चले जाइये इसी में कल्याण है। __राजा ने मृगावती की बात मान ली और लड़ाई पन्द करके सेना सरित अवन्ती की ओर प्रस्थान कर दिया।
चण्डप्रद्योतन के लौट जाने पर मृगारती ने पति का मृत्यु संस्कार किया। कौशाम्बी के चारों ओर मजबूत दीपाल वन. वाई जिमसे शत्र शीघ्र नगरी में न घुस सके। उदयनकुमार को मस्त्र शस्त्रों की शिक्षा दी। धीरे धीरे उसे राज्य का भार सम्मालने योग्य बना दिया।
चमद्योतन अपने मनोरथ की पूर्ति के लिए उत्कण्ठिन था। कुछ वर्षों के बाद उसने मृगावती को बुलाने के लिए अपने सेवकों को भेजा। सेवकों ने कौशाम्बी में जाकर मृगावती को चण्डप्रद्योतन का सन्देश सुनाया । मृगावती ने उत्तर दिया- मैं तुम्हारे राजा को मन से भी नहीं चाहती। मैंने अपने शील की रक्षा के लिए युक्ति रची थी। महाराजा शतानीक की मृत्यु हो जाने से मैं आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन फरूँगी। किसी दूसरे पुरुष को पति के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती। इस लिए तुम लोग वापिस जाकर अपने राजा से कह दो कि वह अपने पापपूर्ण विचारों को छोड़ दे।
सेवकों को इस बात से खुशी हुई कि मृगावती अपने शील पर हद है। उन्होंने भवन्ती में जाकर सारी बात राजा से की। चण्ड. प्रमोसनने जमीयशास्ती चटाई परदी और नगरीके