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पृष्ठ बोल नं०
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बोल नं० ९०० चार पुत्रवधुओं की कथा
४४२ भगवान मल्लिनाथ की कथा ४४४ जिनपाल और जिनरक्ष की कथा ४५३ चन्द्रमा का दृष्टान्त ४५६ दावद्रवका दृष्टान्त ४५७ पुद्गलो के शुभाशुभ परिणाम
४५८ नन्दमणियार को कथा४६० तेतलीपुत्र का कथा ४६२ नन्दी फल का दृष्टान्त ४६४ श्रीकृष्ण का अपरकंका गमन
४६६ अश्वो का दृष्टान्त ४६९ संसुमा और चिलाती पुत्र की कथा ४७० पुण्डरीक और कुण्डरीक की कथा ४७२ परिशिष्ट ४७५ चौतीस प्रस्वाध्याय का सवैया (परिशिष्ट) ४७५ दशवकालिक अ० नौ
उ०३ की गाथाएं ४७६ उत्तराध्ययन अ० बीस की गाथाएं ४७७ दशवकालिक दूसरी चूलिका की गाथाएं ४७८ उत्तराध्ययन अध्य० पन्द्रह की गाथाए ४८० आचारांग श्रुतस्काध १ अ०९ २० २ की गाथाएं
४८१ दशवकालिक अ० नौ २०१कीगाथाएं ४८२ आचारांग श्रुतस्कन्ध १ अ०९ उ०४ की गाथाएं
४८४ उत्तराध्ययन अ०६ की गाथाए
४८५ दशवैकालिक पहली चूलिका की गाथाएं ४८७