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श्री जैन सिद्धान्त चोल संग्रह, पांचवां भाग १७५ ~~~mmmmmmmmmmm rmmmmmmmmm wwmoran
(११) द्वापरयुग्म द्वापरयग्म- जो राशि द्वापर युग्म हो और अपहार समय भी द्वापरयुग्म हो तो उसे द्वापरयुग्म द्वापर युग्म कहते हैं। जैसे- १० । दस में से चार चार को दो ही बार कम किया जा सकता है इस लिए अपहार समय द्वापरयग्म हैं और चार चार कम करने पर दो बचते हैं अतः अपहियमाण वस्तु भीद्वापरयुग्म है। __ (१२)द्वापरयुग्मकल्योज- जो राशि कल्योज हो अर्थात् जिस में से चार चार कम करने पर एक बाकी बचे और अपहार समय द्वापर युग्म हों तो उसे द्वापरयुग्म कल्योज कहते हैं। जैसे-६।नौ में से चार चार दो ही बार कम किए जा सकते हैं इस लिए अपहार समय द्वापरयुग्म हैं तथा चार चार कम करने पर शेष एक बचता है इस लिए अपहियमाण वस्तु कल्योज है।
(१३) कल्योजकृतयुग्म-जो राशि कृतयुग्म हो और अपहार समय कल्योज हो तो उसे कल्योजकृतयुग्म कहते हैं। जैसे-४। चार में से चार घटाने पर शेष कुछ नहीं बचता इस लिए राशि कृतयग्म है तथाचार को एक ही बार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय कल्योज है।
(१४) कल्योजत्र्योज- जो राशियोज हो और अपहार समय कल्योज हो तो उसे कल्योजत्रयोज कहते हैं। जैसे-७।सात में से चार को एक ही बार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय कल्योज है और चार घटाने पर शेष तीन बच जाते हैं इस लिए अपह्रियमाण वस्तुभ्योज है।
(१५) कल्योजद्वापरयुग्म- जो राशि द्वा और अपहार समय कल्योज हो तो उसे कल्योजद्वापरयुग्म कहते हैं। जैसे-६। छः में से चार को एक ही बार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय कल्योज है और चार घटाने पर शेष दो बच जाते हैं इस लिए अपह्रियमाण वस्तु द्वापरयुग्म है।