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संस्था के रजिस्टर में प्रति मांस लिखा गया है। उनका परोक्षा. फल अच्छा रहा है। इस वर्ष पढ़ने वाले साधु सोवियों की संख्या २१ रही। यह संख्या वर्ष भर को है। इन में साधुमार्गीयाधु-साध्वियां १२ और मन्दिरमार्गी साध्धियाँ थीं। उपरोक साधुः साध्वियों को निम्नलिखित शाख और प्रन्थों का अध्ययन कराया गया:
व्याकरण विषय में सिद्धान्त कौमुदी, सिद्धान्त चन्द्रिका, लघुकौमुदी, संस्कृत शिक्षा भाग १ से ४ तक। - .
प्राकृत व्याकरण विषय में जैन सिद्धान्त कौमुदी । हेमचन्द्र अष्टम अध्याय ।' साहित्य विषय में रघुवंश, हितोपदेश, पाण्डव चरित्र ।
आगम विषय में उत्तराध्ययन सूत्र, स्थानांङ्ग सूत्र टीका सहित, दशकालिक सूत्र टीका सहित, प्रश्न व्याकरण सूत्र
दर्शन विषय में- तत्त्वार्थ सूत्र (मूल), प्रमाणनयतत्त्वालोकालार, रत्नाकरावचारिका, सिद्धान्त मुक्तावली, तर्क सपह।' . हिन्दी--हिन्दी बालशिक्षा भाग १ - ६ तक, सुलेख-अभ्यास ।'
'श्राविका और कन्या शिक्षण विभाग। इस विभाग में श्राविकाओं को तथा कन्याओं को शिक्षण दिया गया। इस वर्ष १७ श्राविकाओं को तथा कन्याओं को संस्था की ओर से भिन्न भिन्न स्थानों पर जाकर अध्यापक और अध्यापिकाओं ने हिन्दी. व्याकरण, धार्मिक, गणित, वाणिका आदि विषयों का अध्ययन कराया।
गणित में सामान्य जोड़, बाकी, गुणा भाग तथा रूपया, आना पाई, गज, फोट, इञ्च के तथा जमीन सम्बन्धी, सामान्य सवाल आदि फराये गये। वाणिका-जोड़ बाकी, गुणा, भाग आदि सिखाये गये।
हिन्दी, हिन्दी बालशिक्षा भाग १ से ४ तक, मुलेख-अभ्यास-। धार्मिक-पंचप्रतिक्रमण भक्तामर मूल, कल्याण मन्दिर मूल ।
. साहित्य प्रकाशन विभाग। इस वर्ष इस विभाग में निम्नलिखित पुस्तक प्रकाशित हुई :---