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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, चौथा भाग २४५ जोर से क्यों नहीं चिल्लाया १ ग्रामीण ने उसकी बात मान ली और कहा-आगे से ऐसा ही करूंगा।
एक दिन ठाकुर साहेव स्नान के बाद धूप देने के लिए बैठे थे। ओढ़ने के वस्त्र के ऊपर अगरवची का धुंआ निकलते हुए देख कर ग्रामीण ने समझा, आग लग गई । उसने पास में पड़ी हुई दूध से भरी देगची उस पर डाल दी। दौड़ दौड़ कर पानी, धूल
और राख भी डालने लगा। साथ में 'आग. आग' कह कर जोर से चिल्लाने लगा। ठाकुर ने उसे अयोग्य समझ कर घर से निकाल दिया। ___ इसी प्रकार जो शिष्य गुरु द्वारा बताई गई बात को उतनी की उसनी कह देता है, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव आदि का ध्यान नहीं रखता, यों ही कुछ वोल देता है उसका कहना वचन से अननुयोग है।जो द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव आदि समझ कर ठीक ठीक बोलता है उसका कथन वचन से अनुयोग है।
भाव के अननुयोग तथा अनुयोग के लिए नीचे लिखे सात उदाहरण है:
(६) श्रावक भार्या का उदाहरण-एक श्रावक ने किसी दूसरे श्रावक की रूपवती भार्या को देखा । उसे देख कर वह उस पर मोहित हो गया । लजा के कारण उसने अपनी इच्छा किसी पर प्रकट नहीं की । इच्छा के बहुत प्रबल होने के कारण वह दिन प्रति दिन दुर्वल होने लगा | अपनी स्त्री द्वारा आग्रह पूर्वक शपथ खिला कर दुर्बलता का कारण पूछने पर उसने सच्ची सच्ची बात कह दी। ___ उसकी स्त्री ने कहा-इस में क्या कठिनता है? वह मेरी सहेली है। उससे कह दूंगी तो आज ही आ जाएगी। यह कह कर वह स्त्री अपनी सहेली से वे ही कपड़े मांग लाई जिन्हें पहने हुए उसे श्रावक ने देखा था। कपड़े लाकर उसने अपने पति से कह दिया कि आज शाम को वह आएगी। उसे बहुत शर्य श्राती है। इस