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श्री सेठियाजेन ग्रन्थमाला चौंतीस अतिशय। वाणी के पैंतीसगुण । भगवान महावीर का साधु साध्वी परिवार के साथ पधारना। भगवान् के पधारने की सूचना
और वधाई। नमुत्थुणं की विधि व पाठवधाई के लिए पारितोषिक। भगवान् का चम्पा नगरी में पधारना । साधु के गुणों का वर्णन । लब्धि तथा तपप्रतिमा का वर्णन । साधुओं के विशेष गुण । साधुओं की उपमा । बारह तप के ३५४ मेद। साधुओं द्वारा शास्त्र के पठन पाठन का वर्णन | संसार रूपी समुद्र तथा धर्म रूपी जहाज का वर्णन। देव तथा मनुष्यों की परिषदाएँ ।नगर तथा सेनाका सजना । कोणिक राजा का सजधज कर वन्दन के लिए जाना । वन्दना के लिए भगवान् के पास जाना, पाँच अभिगम और वन्दना की विधि । रानियों का तैयार होना। स्त्रियों द्वारा वन्दना की विधि। तीर्थङ्कर का धोपदेश । परिषद् द्वारा की गई प्रशंसा।
(२) औपपातिक अधिकार-गौतम स्वामी के गुण, संशय और प्रश्न । कर्मवन्ध, मोहवन्ध, कर्मवेद, नरकगमन, देवगमन श्रादि विषयक प्रश्न तथा उनके उत्तर । सुशील स्त्री और रस त्यागी का वर्णन तथा उनके लिए प्रश्नोत्तर । तापस, कंदी साधु, सन्यासी, अम्बडसन्यासी, दृढ़प्रतिज्ञ, प्रत्यनीक साधु, तिर्यश्च श्रावक, गोशालक मत, कौतुकी साधु, निह्नव, श्रावक, साधु तथा केवली के विषय में प्रश्न तथा उनके उत्तर ।
(३) सिद्धाधिकार केवली समघात। सिद्धों के विषय में प्रश्नोत्तर सिद्धों का वर्णन गाथा रूप में। सिद्धों के सुख का प्रमाण । जंगली का दृष्टान्त । सिद्धों के सुख ।
(२) रायपसेणी सूत्र उपाङ्ग सूत्रों में दूसरे सत्र का नाम 'रायपसेणी है। टीकाकार और वृत्तिकार आचार्यों का इस सूत्र के नाम के विषय