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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला से मार डाला है, ये लोग तो मुझे थोड़े ही में छुटकारा देते हैं। इस प्रकार समभाव पूर्वक उस वेदना को सहन करते हुए बेले बेले पारणा करते हुए विचरने लगे। मिक्षा में कमी आहार मिलता तोपानी नहीं और पानी मिलता तो आहार नहीं । जो कुछ मिलता उसी में संतोष कर वे अपनी आत्मा को धर्मध्यान में तल्लीन रखते किन्तु कभी भी अपने परिणामों में कलुषता नहीं आने देते। इस प्रकार छ: महीने तक बेले बेले पारणा करते रहे । अन्त में १५ दिन की संलेखना कर, केवलज्ञान केवलदर्शन उपार्जन करके मोक्ष में पधारे। यह अध्ययन मूल सूत्र में बड़े ही रोचक एवं भावपूर्ण शब्दों में लिखा गया है। यहाँ तो बहुत संचित रूप से केवल कथा मात्र दी गई है।
चौथे अध्ययन से चौदहवें अध्ययन तक सब का अधिकार समान है किन्तु नगर, दीक्षा पर्याय आदि में फरक है
नाम नगर दीक्षापर्याय निर्वाणस्थान काश्यप
राजगृही सोलह वर्ष विपुलगिरि
काकन्दी धतिघर कैलाश साकेतपुर
क्षेम
"
चारह वर्ष
हरिश्चन्द्र
सुदर्शन
विरक्त राजगृही
वाणिज्यग्राम पाँच वर्ष पूर्णभद्र सुमनभद्र श्रावस्ती नगरी बहुत वर्ष सुप्रतिष्ठ " सत्ताईस वर्ष मेष
राजगृही बहुत वर्ष पन्द्रहवें अध्ययन में अतिसुल (एषन्ता) कुमार का वर्णन